
पाकिस्तानः शहबाज सरकार का बड़ा फैसला, PM-राष्ट्रपति, मंत्री-सांसद नहीं लेंगे सैलरी... जानें- क्या है वजह
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पाकिस्तान सरकार ये फैसला अनावश्यक खर्चों को कम करने की दिशा में उठाया है. इसके अलावा नई सरकार ने प्रधानमंत्री और मंत्रियों के विदेशी दौरों को भी कम करने को कहा है. कैबिनेट मंत्रियों सांसदों और सरकारी कर्मचारियों को बिना मंजूरी के सरकारी फंड पर विदेशी दौरे नहीं करने का आदेश दिया गया है.
आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट ने एक बड़ा फैसला लिया है. शहबाज शरीफ और उनकी कैबिनेट के मंत्रियों ने देश के मुश्किल में फंसे होने की स्थिति में वेतन और अन्य भत्ते नहीं लेने का फैसला किया है.
ये फैसला सरकार के अनावश्यक खर्चों को कम करने की दिशा में उठाया गया है. इसके अलावा नई सरकार ने प्रधानमंत्री और मंत्रियों के विदेशी दौरों को भी कम करने को कहा है. कैबिनेट मंत्रियों, सांसदों और सरकारी कर्मचारियों को बिना मंजूरी के सरकारी फंड पर विदेशी दौरे नहीं करने का आदेश दिया गया है.
पिछले हफ्ते राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी इन्हीं कारणों का हवाला देते हुए वेतन नहीं लेने का फैसला किया था. रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह के कदमों को आमतौर पर आम जनता के लिए राहत भरा माना जाता है. क्योंकि मुल्क के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शीर्ष मंत्रियों के वेतन नहीं लेने से जनता में एक सकारात्मक संदेश जाता है.
कैसा है पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का हाल?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कर्ज के जाल में फंसी हुई है. मुल्क की अर्थव्यवस्था पर 130 अरब डॉलर से अधिक का बाहरी कर्ज है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार आठ अरब डॉलर ही है. देश में महंगाई दर 23 फीसदी है. बीते दो सालों में पाकिस्तान की मुद्रा का मूल्य अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 50 फीसदी से अधिक घटा है.
पाकिस्तान और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बीच तीन अरब डॉलर के बेलाउट पैकेज को लेकर सहमति बनी है. इस समझौते के तहत आईएमएफ तय पैकेज में से पाकिस्तान को 1.1 अरब डॉलर की धनराशि जारी करेगा. आईएमएफ का कहना है कि उसके कार्यकारी बोर्ड की मंजूरी के बाद यह धनराशि 11 अप्रैल को खत्म हो रहे समझौते की मियाद से पहले आवंटित की जाएगी. हालांकि, आईएमएफ का कहना है कि हाल के महीनों में पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है.

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने गुरुवार को बलूचिस्तान के दौरे पर पहुंचे हैं, जहां उन्होंने कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की. पाकिस्तानी सेना का दावा है कि उसने रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया है तो दूसरी ओर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का कहना है कि ISPR द्वारा किए गए दावे झूठे हैं और पाक हार को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहा है.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.