पांच लुटेरे, चोरी की मोटरसाइकिल और पुलिस की थ्योरी... मंगेश यादव एनकाउंटर में सवाल ही सवाल
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अब सवाल है कि जिस मोटरसाइकिल पर मंगेश यादव भाग रहा था और भागते हुए उसका एनकाउंटर हुआ, वो मोटरसाइकिल किसकी है? और जो शो रूम के बाहर लुटेरों की दो मोटरसाइकिल नजर आ रही थी, वो किसकी हैं?
Mangesh Yadav Encounter Controversy: यूपी के सुल्तानपुर में एक मोटरसाइकिल से भागते हुए मंगेश यादव का एनकाउंटर किया गया. मगर हैरानी की बात ये है कि ये वो मोटरसाइकिल नहीं थी, जो डकैती की वारदात से 8 दिन पहले चोरी हुई थी. असल में जो मोटरसाइकिल डकैती से पहले चोरी हुई थी, उसके मालिक ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. उसका कहना है कि 28 अगस्त को डाका पड़ने के कुछ देर बाद ही कुछ पुलिसवाले उसके घर आए थे और उन्होंने आनन फानन में उसकी बाइक चोरी की एफआईआर दर्ज की थी.
मोटरसाइकिल को लेकर भी खेल! मंगेश यादव के एनकाउंटर के ठीक बाद की कुछ तस्वीरें बाहर आईं. जिनमें जमीन पर पड़ी एक मोटरसाइकिल दिखाई देती है, बकौल यूपी एसटीएफ जिस पर मंगेश यादव अपने साथी के साथ भाग रहा था. और एक तस्वीर 28 अगस्त की दोपहर ठीक उस वक्त की है, जब भरत ज्वेलर्स में डाका पड़ा था. दुकान के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में दो बाइक कैद हो गईं. ये वो दोनों बाइक हैं, जिन पर पांच लुटेरे डाका डालने आए थे. अब बात उस मोटरसाइकिल की, जिसकी चोरी तो 20 अगस्त को दर्ज हुई थी, लेकिन एफआईआर 8 दिन बाद 28 अगस्त की रात 8 बज कर 11 मिनट पर दर्ज हुई. यानी सुल्तानपुर में भरत ज्वेलर्स के यहां डाका पड़ने के लगभग आठ घंटे बाद.
घटना से मोटरसाइकिल का कनेक्शन? अब सवाल है कि जिस मोटरसाइकिल पर मंगेश यादव भाग रहा था और भागते हुए उसका एनकाउंटर हुआ, वो मोटरसाइकिल किसकी है? और जो शो रूम के बाहर लुटेरों की दो मोटरसाइकिल नजर आ रही थी, वो किसकी हैं? और जिस मोटरसाइकिल की चोरी की एफआईआर दर्ज की गई है, उसका इस लूट से क्या ताल्लुक? तो चलिए सिलसिलेवार आपको इन तमाम सवालों के जवाब देते हैं. और इन्हीं जवाबों में छुपा है- मंगेश यादव के एनकाउंटर का सवाल.
अस्पताल के बाहर से चोरी हो गई थी नसीम की बाइक एक शख्स हैं नसीम. सुल्तानपुर के कादीपुर इलाके के रहने वाले नसीम 20 अगस्त को अपनी मां मदीना खातून को जौनपुर के पार्थ अस्पताल में हड्डी के डॉक्टर, डॉ सुभाष सिंह को दिखाने गए थे. अपनी मोटरसाइकिल अस्पताल के बाहर ही पार्क कर दी थी. थोड़ी देर बाद आकर देखा तो मोटरसाइकिल गायब थी. जिस दिन ये मोटरसाइकिल चोरी हुई थी, उस दिन से लेकर अगले कई दिनों तक चोरी की रिपोर्ट लिखाने के लिए वो लगातार कोतवाली थाने के चक्कर काटते रहे. लिखित शिकायत भी दी. यहां तक कि मोटरसाइकिल चोरी होने के फौरन बाद 112 पर नंबर पुलिस को फोन भी किया. लेकिन क्या मजाल जो पुलिस रिपोर्ट लिख लेती?
FIR लिखने के लिए घर आए पुलिसवाले और कमाल देखिए जब इन्होंने उम्मीद छोड़ दी, तब खुद पुलिस वाले घर पर दस्तक देते हैं और बड़ी इज्जत से कहते हैं, चलो, तुम्हारी मोटरसाइकिल की चोरी की एफआईआर लिख लेते हैं. तो सुना आपने? मोटसाइकिल चोरी हुई 20 अगस्त को नसीम ने 112 नंबर पर भी पुलिस को कॉल किया. कोतवाली के चक्कर भी काटे पर रिपोर्ट नहीं लिखी गई.
8 दिन बाद बाइक चोरी की FIR नसीम थाने के चक्कर काट काट कर जब परेशान हो गया, तो फिर थाने जाना ही छोड़ दिया. उसने मान लिया था कि अब मोटरसाइकिल दोबारा नहीं मिलेगी. लेकिन तभी 28 अगस्त को सुल्तानपुर के भरत ज्वेलर्स के यहां डाका पड़ता है. एसटीएफ मामले की जांच करती है. ये डाका 28 अगस्त की दोपहर करीब साढ़े 12 बजे पड़ा था. और ठीक उसी दिन यानी 28 अगस्त की रात 8 बज कर 11 मिनट पर अचानक नसीम की चोरी हुई मोटरसाइकिल की एफआईआर दर्ज हो जाती है. है न कमाल? उस एफआईआर की खास बात ये है कि पुलिस ने इसमें कहीं ये नहीं लिखा है कि नसीम लगातार थाने के चक्कर काटता रहा और उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. एफआईआर में सीधे सपाट बस यही लिखा गया कि 20 अगस्त की दोपहर दो बजे मोटरसाइकिल चोरी हुई थी और अब उसका मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
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