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'पहले भारत और PAK से एक जैसा व्यवहार करते थे अमेरिकी राष्ट्रपति, फिर...', US चुनाव के सवाल पर बोले जयशंकर
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अमेरिकी चुनाव पर जयशंकर ने कहा कि हमारे लिए दोनों नेता (कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप) अच्छे हैं. अगर हम इतिहास देखें तो 2000 में अटल जी की सरकार के दौरान क्लिंटन भारत आए थे. यह पहली बार था जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत के बारे में अपना रुख स्पष्ट किया. तब तक सभी अमेरिकी राष्ट्रपति भारत और पाकिस्तान के साथ समान व्यवहार करते थे. यह उनकी बुरी आदत थी. पिछले सभी 5 अमेरिकी राष्ट्रपति व्यक्तित्व में अलग थे.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पैट्रोलिंग को लेकर चीन के साथ हुए सफल समझौते का श्रेय सेना को दिया और कहा कि सेना ने बहुत ही अकल्पनीय परिस्थितियों में काम किया और कुशल कूटनीति दिखाई. पुणे में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि संबंधों को सामान्य बनाने में अभी भी कुछ समय लगेगा, स्वाभाविक रूप से विश्वास और साथ मिलकर काम करने की इच्छा को फिर से बनाने में समय लगेगा. विदेश मंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर भी बात की और कहा कि हमारे लिए दोनों नेता (कमला हैरिस व ट्रंप) अच्छे हैं.
चीन पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस के कज़ान में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की तो यह निर्णय लिया गया कि दोनों देशों के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मिलेंगे और देखेंगे कि आगे कैसे बढ़ना है.
जयशंकर ने कहा, "अगर आज हम इस मुकाम पर पहुंचे हैं तो इसका एक कारण यह है कि हमने अपनी जमीन पर डटे रहने और अपनी बात रखने के लिए बहुत दृढ़ प्रयास किया है. सेना देश की रक्षा के लिए बहुत ही अकल्पनीय परिस्थितियों में (एलएसी पर) मौजूद थी और सेना ने अपना काम किया और कूटनीति ने अपना काम किया. पिछले दशक में भारत ने अपने बुनियादी ढांचे में सुधार किया है. समस्या का एक हिस्सा यह है कि पहले के वर्षों में सीमा पर बुनियादी ढांचे की वास्तव में उपेक्षा की गई थी. आज हम एक दशक पहले की तुलना में सालाना पांच गुना अधिक संसाधन लगा रहे हैं, जिसके परिणाम सामने आ रहे हैं और सेना को वास्तव में प्रभावी ढंग से तैनात करने में सक्षम बना रहे हैं. इन (कारकों) के संयोजन ने हमें यहां तक पहुंचाया है."
'2020 से समाधान खोजने पर हो रही थी बात'
बता दें कि कुछ दिन पहले ही भारत ने घोषणा की थी कि उसने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त करने के लिए चीन के साथ एक समझौता किया है, जो चार साल से अधिक समय से चल रहे सैन्य गतिरोध को समाप्त करने में एक बड़ी सफलता है. दरअसल, 2020 से सीमा पर स्थिति बहुत अशांत रही है, जिसने समग्र संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है. विदेश मंत्री ने इस पर कहा कि सितंबर 2020 से भारत चीन के साथ इस बात पर बातचीत कर रहा था कि समाधान कैसे खोजा जाए.
विदेश मंत्री ने कहा कि इस समाधान के विभिन्न पहलू हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सैनिकों को पीछे हटाना है क्योंकि वे एक-दूसरे के बहुत करीब हैं और कुछ होने की संभावना बरकरार है. फिर दोनों पक्षों की ओर से सैनिकों की संख्या बढ़ने के कारण तनाव कम हो रहा है. इसके अलावा एक बड़ा मुद्दा यह है कि आप सीमा का प्रबंधन कैसे करते हैं और सीमा समझौते पर बातचीत कैसे करते हैं. अभी जो कुछ भी हो रहा है, वह पहले भाग से संबंधित है, जो कि विघटन है.
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