पश्चिम बंगाल में TMC को नहीं मिल रही 'ममता', दीदी की क्यों हो रही दुर्गति?
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एग्जिट पोल बता रहे हैं कि पश्चिम बंगाल में दीदी का किला इस बार ढहने वाला है. आखिर दीदी की दुर्गति बंगाल में क्यों होती दिख रही है? क्या मुसलमानों से साथ नहीं दिया? या हिंदुओं के ध्रुवीकरण को वो इस बार रोक नहीं पाईं?
पश्चिम बंगाल में चुनाव के नतीजे इस बार बहुत आश्चर्यजनक हो सकते हैं. जिस तरह के एग्जिट पोल रिजल्ट आए हैं उससे तो यही लगता है कि टीएमसी को बहुत नुकसान हो रहा है. आजतक एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में बीजेपी को 26 से 31 सीट मिलती नजर आ रही है. ममता बनर्जी को कांग्रेस और वाम मोर्चे से अलग चुनाव लडने का नुकसान स्पष्ट दिख रहा है.पार्टी वैसे तो इंडिया गठबंधन का हिस्सा है मगर वह कांग्रेस या वाम दलों के साथ सीटों का तालमेल नहीं कर पाई थी. यही कारण है कि पार्टी 11 से 14 सीटों के बीच सिमटती दिख रही है. ऐसा क्यों होता नजर आ रहा है? क्या मुस्लिम वोटर्स ने ममता दीदी को धोखा दे दिया ? तो फिर बीजेपी को किस तबके के वोट सबसे ज्यादा मिले ? और अगर बीजेपी को ज्याद वोट मिले तो क्यों? आइए इन तमाम सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं?
1-मुस्लिम वोट कहां गए?
बंगाल में करीब 20 लोकसभा सीटें हैं जहां हिंदू आबादी 35 से 50 प्रतिशत तक है. ये मुर्शिदाबाद जिले में बरहामपुर, मुर्शिदाबाद और जंगीपुर और उत्तर 24 परगना में बशीरहाट जैसी लोकसभा सीटों के अलावा भी हैं. इन सीटों पर मुस्लिम आबादी बहुमत के निशान से काफी ऊपर है. जिन मुस्लिम मतदाताओं ने पहले कांग्रेस और वामपंथियों का समर्थन किया था, वे 2016 के बाद से अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी, भाजपा के खिलाफ लगातार तृणमूल कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस-वाम गठबंधन (गठबंधन) के मजबूत होने के बाद क्या टीएमसी के वोट में कमी आई है. आजतक एक्सिस माई इंडिया का एग्जिट पोल की माने तो टीएमसी को नुकसान हुआ है पर ज्यादा नहीं. पिछली बार 68 परसेंट मुस्लिम वोट टीएमसी को मिले थे जिसमें इस बार 2 प्रतिशत की कमी दिख रही है. पर इंडिया गठबंधन को एक परसेंट की बढोतरी और अन्य को 2 परसेंट की बढ़ोतरी से पता चल रहा है कि मुस्लिम वोटों का बिखराव हुआ है. मतलब साफ है कि कांग्रेस और फुरफुरा शरीफ वाले मौलवी अब्बास सिद्दीकी के इंडियन सेक्युलर फ्रंट ने कुछ वोट काटे हैं. क्योंकि लेफ्ट फ्रंट को भी 2 परसेंट वोट पिछली बार से कम मिलते दिख रहे हैं. हालांकि फिर भी लेफ्ट फ्रंट 8 परसेंट वोट पाने में सफल हुआ है. सबसे आश्चर्यजनक तो ये लग रहा है बीजेपी को पिछली बार के चुनावों में 5 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले थे जो इस बार 6 प्रतिशत हो गया है. इस तरह देखा जाए तो ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव लड़कर कुछ परसेंट वोट सुधार सकती थीं.
2-TMC का सीएए-यूसीसी विरोध, फिर संदेशखाली कांड में भूमिका से हिंदू वोट हुए ध्रुवीकृत
आजतक एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल की माने तो बीजेपी का वोट शेयर गांव, शहर, अगड़ा-पिछड़ा और शिक्षित-अशिक्षित सभी लोगों में बढ़ा है . अनुसूचित जातियों के कुल वोट का 57 प्रतिशत वोट मिला है जो पिछली बार से करीब 5 प्रतिशत अधिक दिख रहा है.इसी तरह एसटी (52 प्रतिशत) पिछली बार के मुकाबले 4 प्रतिशत अधिक, ओबीसी ( 70 प्रतिशत) पिछली बार से 5 परसेंट अधिक, जनरल (73 प्रतिशत) पिछली बार के मुकाबले 11 प्रतिशत अधिक वोट मिलता दिखता रहा है. टीएमसी का केवल आदिवासी वोट ही पिछली बार के मुकाबले 2 प्रतिशत बढ़ता दिख रहा है. इसके अलावा सभी वोट जनरल ( 20 परसेंट) 10 परसेंट कम, ओबीसी (24) 4 प्रतिशत कम, एससी (34 प्रतिशत) 3 प्रतिशत कम हो रहा है. मतलब साफ है कि हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण बीजेपी की तरफ हुआ है. जिस तरह ममता बनर्जी ने सीएए को बंगाल में नहीं लागू करने की बात की ,जिस तरह उन्होंने यूसीसी का विरोध किया वो उनके लिए महंगा पड़ता दिख रहा है.
ममता बनर्जी ने एक रैली में बोलीं थीं कि पीएम एनआरसी और सीएए लागू करना चाहते हैं. उनका कहना है कि आप सभी बाहरी और घुसपैठिए हैं और आपको नागरिकता के लिए आवेदन करना चाहिए. अगर वह ऐसा कहते हैं तो मैं कहती हूं कि वह भी घुसपैठिए पीएम हैं और मैं भी घुसपैठिया सीएम हूं. किसी को भी नागरिकता के लिए आवेदन करने की जरूरत नहीं है. आपके पास मतदाता कार्ड और राशन कार्ड है, और इसलिए आप भारत के नागरिक हैं. इन मुद्दों के अलावा रही सही कसर संदेशखाली कांड ने पूरी कर दी. जिस तरह ममता बनर्जी और उनके शासन प्रशासन ने इस कांड के प्रमुख आरोपी टीएमसी नेता शाहजहां शेख को बचाने का काम किया, उसने पूरे प्रदेश में टीएमसी के खिलाफ माहौल बनाया. इस मुद्दे को और उभारने में जिस तरह बीजेपी ने लीडरशिप दिखाई, उसने इस पार्टी को टीएमसी के विकल्प के रूप में मजबूती से पेश किया. एग्जिट पोल यदि सही साबित होते हैं तो माना जा सकता है कि हिंदू वोटरों का गुस्सा संदेशखाली को लेकर भी जाहिर हुआ है.
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