परिवार के ऊपर क़र्ज़ 2020-21 में उछलकर जीडीपी का 37.3 प्रतिशत पहुंचा: एसबीआई रिपोर्ट
The Wire
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी की दूसरी लहर के कारण क़र्ज़ का यह अनुपात चालू वित्त वर्ष में और बढ़ सकता है. परिवारिक क़र्ज़ का स्तर जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से बढ़ रहा है. इससे पहले नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू की गई थी. परिवार पर बढ़ता क़र्ज़ का मतलब है कि उनकी वित्तीय बचत दर, खपत और स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ने के कारण कम हुई है.
मुंबई: कोरोना महामारी का लोगों की आय और आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ा है. इससे परिवार के स्तर पर कर्ज बढ़ा है और यह वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 37.3 प्रतिशत पहुंच गया जो इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में 32.5 प्रतिशत था. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) रिसर्च की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि महामारी की दूसरी लहर के कारण कर्ज का यह अनुपात चालू वित्त वर्ष में और बढ़ सकता है. वास्तव में पारिवारिक कर्ज का स्तर जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से बढ़ रहा है. इससे पहले नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू की गई थी. एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2017-18 से चार साल में परिवारों पर कर्ज का स्तर 7.20 प्रतिशत ऊंचा हुआ है. वित्त वर्ष 2017-18 में यह 30.1 प्रतिशत था, जो 2018-19 में बढ़कर 31.7 प्रतिशत, 2019-20 में 32.5 प्रतिशत और 2020-21 में उछलकर 37.3 प्रतिशत हो गया. परिवार के ऊपर कर्ज में बैंक, क्रेडिट सोसाइटी से लिए गए कर्ज, गैर-बैंकिंग कंपनियों और आवास वित्त कंपनियों से लिए गए खुदरा ऋण, फसल कर्ज और कारोबार को लेकर लिए गए ऋण शामिल हैं.More Related News