
पद्मश्री हरेकाला हजाब्बा जिन्होंने कैसे फल बेच शिक्षा की अलख जगाई
BBC
सोमवार को राष्ट्रपति ने जिन लोगों को पद्म पुरस्कार दिए उनमें हरेकाला हजाब्बा सबसे अलग शख़्सियत थे. नंगे पाँव पुरस्कार लेने पहुँचे हजाब्बा के काम पर बीबीसी ने कुछ वर्ष पहले एक रिपोर्ट की थी.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में अलग-अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम के लिए लोगों को पद्म सम्मानों से नवाज़ा.
2020 के लिए 119 हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. इनमें से 7 लोगों को पद्मविभूषण, 10 को पद्मभूषण और 102 को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया. पद्म पुरस्कार देने का यह समारोह इस बार दो दिनों तक चलना है. मंगलवार को साल 2021 के लिए 141 लोगों को पद्म पुरस्कार दिए जाने हैं.
पद्म पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर 25 जनवरी को की जाती है. और इसे अप्रैल में दिए जाते हैं पर कोरोना महामारी के कारण 2020 और 2021 के पुरस्कार तय समय पर नहीं दिए जा सके थे. इसलिए 2020 और 2021 दोनों साल के पद्म विजेताओं का एक साथ सम्मान किया जा रहा है.
सोमवार को साल 2020 के लिए जिन लोगों को पद्म सम्मान दिए गए, उनमें से कइयों की पृष्ठभूमि बेहद मामूली हैं. लेकिन इनके हौसले और इनका काम इन्हें असाधारण लोगों की पांत में खड़ा कर देता है. ऐसे ही लोगों में से एक हैं कर्नाटक के हरेकाला हजाब्बा.
निरक्षर होकर भी शिक्षा का महत्व समझने वाले हरेकाला हजाब्बा ने अपनी जमा पूंजी से बेंगलुरू के पास अपने गांव में साल 2000 में एक स्कूल खोला था. पद्मश्री मिलने के बाद सोमवार को सोशल मीडिया पर कई लोग इनके बारे में चर्चा करते देखे गए. लोग इनकी बड़ी सोच, कड़ी मेहनत और इनके संघर्षों की दास्तान की ख़ूब तारीफ़ कर रहे थे.