
पत्नी के शरीर को अपनी संपत्ति समझना वैवाहिक बलात्कार है और तलाक लेने का ठोस आधार: केरल हाईकोर्ट
ABP News
पति अपनी पत्नी के साथ पैसे कमाने की मशीन की तरह व्यवहार करता था और पत्नी ने विवाह की खातिर उत्पीड़न को सहन किया. इस दंपत्ति की शादी 1995 में हुई थी और उनके दो बच्चे हैं.
कोच्चि: केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नी के शरीर को पति द्वारा अपनी सम्पत्ति समझना और उसकी इच्छा के खिलाफ यौन संबंध बनाना वैवाहिक बलात्कार है. कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के तलाक की मंजूरी देने के फैसले को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की दो अपीलें खारिज करते हुए यह टिप्पणी की. न्यायमूर्ति ए मोहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने कहा कि शादी और तलाक धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत होने चाहिए और देश के विवाह कानून को फिर से बनाने का समय आ गया है. पीठ ने कहा, 'दंडात्मक कानून के तहत वैवाहिक बलात्कार को कानून मान्यता नहीं देता, केवल यह कारण अदालत को तलाक देने के आधार के तौर पर इसे क्रूरता मानने से नहीं रोकता है. इसलिए, हमारा विचार है कि वैवाहिक बलात्कार तलाक का दावा करने का ठोस आधार है.'More Related News