पतंजलि के विज्ञापन को भ्रामक बताते हुए डॉक्टरों ने कहा- शुगर पीड़ित इंसुलिन बंद न करें
The Wire
बाबा रामदेव द्वारा संचालित कंपनी पतंजलि ने अख़बारों में विज्ञापन देकर दावा किया है कि उसकी दवाएं टाइप-1 डायबिटीज़, थायराइड और अस्थमा जैसी कई बीमारियों का इलाज कर सकती हैं. ‘एलोपैथी द्वारा फैलाई गईं ग़लत धारणाएं’ शीर्षक से प्रकाशित विज्ञापन को तमाम डॉक्टरों ने पूरी तरह से भ्रामक बताते हुए ख़ारिज किया है.
नई दिल्ली: अतीत में ‘भ्रामक’ विज्ञापन दिए जाने को लेकर अधिकारियों द्वारा चेतावनी दिए जाने के बावजूद बाबा रामदेव द्वारा संचालित कंपनी ‘पतंजलि’ ने अखबारों में आधे पेज का विज्ञापन देकर एक और विवाद को जन्म दे दिया है. Those with type 1 diabetes please do not be misled by such misleading advertisements. It is risky to your life if you stop Insulin. As of now there is no cure for type 1 diabetes. Insulin is life saving. Please continue it #type1diabetes #insulin @Rssdi_official pic.twitter.com/ULFKMs1rrA I have the greatest respect for Ayurveda and other Indian systems of medicine and for Yoga. They work very well for many diseases . We need to do studies and generate more evidence . Today’s world is science and evidence based , which need not only be Allopathy. Today's newspaper-Most statements in this ad are blatantly false. #misinformationBut some are downright dangerous Curing type 1 #diabetes? Leaving insulin??Request all type 1 DM NOT to give up #INSULINIt can be fatal #DiabetesAwareness pic.twitter.com/mOhuENXUW1 This is blatant fraud. Will the @DeptHealthRes @MoHFW_INDIA @CDSCO_INDIA_INF take note? People could die if they follow this advice. pic.twitter.com/uhVELHoqtc
इस विज्ञापन में दावा किया गया है कि उसके ब्रांड की पारंपरिक दवाएं टाइप-1 शुगर/डायबिटीज, थायराइड और अस्थमा जैसी कई बीमारियों का इलाज कर सकती हैं. — Dr.V.Mohan (@drmohanv) December 4, 2022 — Dr.V.Mohan (@drmohanv) December 4, 2022 — Dr Ambrish Mithal (@DrAmbrishMithal) December 4, 2022 — Pramesh CS (@cspramesh) December 4, 2022
विज्ञापन का शीर्षक ‘एलोपैथी द्वारा फैलाई गईं गलत धारणाएं’ (Misconceptions spread by Allopathy) है, जिसे कई वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा इसे ‘भ्रामक’ और ‘पूरी तरह से गलत’ बताते हुए खारिज कर दिया गया है.
बीते चार दिसंबर को इस विज्ञापनों को अखबारों में प्रकाशित कराया गया था. इससे पहले भी यह विज्ञापन अखबारों में प्रकाशित हो चुका है.