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पंडित राजन मिश्र: सादगी, सरलता और सुरों का संगम…
The Wire
स्मृति शेष: पंडित राजन मिश्र का असमय चले जाना सभी संगीत-प्रेमियों के लिए भारी आघात है. ख़ासकर, उनके अज़ीज़ों के लिए, जिन्होंने एक अद्भुत गायक के साथ-साथ एक अद्भुत इंसान भी खो दिया.
जैसे ही पंडित राजन मिश्र के जाने की ख़बर मिली, असहनीय दुख ने घेर लिया. हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत भरा पड़ा है याद और बिछोह की बंदिशों से, उनके ढेर बींधे दे रहे हैं दिल को. पहली बार राजन-साजन मिश्र को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित एक संगीत सम्मेलन में सुना था. साल ठीक-ठीक याद नहीं, पर दशक 1970 का था. उससे पहले उन का नाम भी नहीं सुना था. बिल्कुल शुरुआती दौर था वह दोनों भाइयों का. उन्होंने उस शाम अपने भव्य गायन से श्रोताओं को सम्मोहित कर लिया था. मानो पूर्व घोषणा कर रहे हों संगीत जगत में अपनी आगामी उज्जवल उपस्थिति की. फिर एक ख़ूबसूरत इत्तेफ़ाक ने राजन-साजन मिश्र से जान-पहचान करा दी. यह जान-पहचान देश-विदेश में हुई हमारी आकस्मिक मुलाक़ातों के दौरान गहराने लगी, विशेष रूप से राजन मिश्र के साथ. फिर उसमें इतनी निजता आने लगी कि हम पहले से तय करके भी मिलने लगे कभी-कभार.More Related News