पंजशीर के लड़ाके 'ताक़तवर तालिबान' के सामने किस दम पर डटे हैं?
BBC
काबुल पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद से पंजशीर घाटी की सीमाओं पर हुई झड़पों में तालिबान के दर्जनों लड़ाके मारे जा चुके हैं और लड़ाई अब भी जारी है. आख़िर पंजशीर के लड़ाकों किस दम पर कर रहे हैं ये मुक़ाबला.
तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर काफ़ी तेज़ी से अपनी पकड़ बनाई है. अब वे काबुल में अपनी नई सरकार को लेकर योजना बना रहे हैं. फिर भी उनकी राह का एक बड़ा रोड़ा अभी बचा हुआ है. राजधानी काबुल के उत्तर-पूर्व की पंजशीर घाटी का यह रोड़ा राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा (एनआरएफ) के लड़ाके हैं. चारों ओर से तालिबान से घिरे होने के बावजूद, ये लोग हार मानने से इंकार कर रहे हैं. तालिबान के वरिष्ठ नेता आमिर ख़ान मोतक़ी ने पंजशीर घाटी में रहने वाले लड़ाकों से अपने हथियार डालने का आह्वान किया है, लेकिन अब तक इस अपील पर अमल के कोई संकेत नहीं दिख रहे. विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद से अब तक पंजशीर घाटी की सीमाओं पर हुई झड़पों में तालिबान के दर्जनों लड़ाके मारे जा चुके हैं और अब भी लड़ाई जारी है. पंजशीर में वास्तव में हो क्या रहा है और क्या इससे तालिबान को चिंतित होना चाहिए? "तालिबान का 1996 से 2001 तक अफ़ग़ानिस्तान में कैसा शासन था?More Related News