
न लैपटॉप डेटा, न सिम कार्ड... 100 करोड़ का घोटाला पकड़ने वाली ड्रग इंस्पेक्टर की मर्डर मिस्ट्री!
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एफडीए अफसर नेहा शौरी ने 14 जुलाई, 2018 को तत्कालीन ड्रग कंट्रोलर को अपनी आंतरिक रिपोर्ट सौंपी थी. जिसमें निजी नशा मुक्ति केंद्रों पर ब्यूप्रेनोर्फिन और अन्य दवाओं के दुरुपयोग की जानकारी दी गई थी.
Neha Shourie Murder Case: पंजाब एफडीए की 36 वर्षीय अधिकारी नेहा शौरी की हत्या के मामले में अभी तक उनके परिवार को इंसाफ का इंतजार है. साढ़े चार साल पहले नेहा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. लेकिन उनके परिवारवाले आज भी इंसाफ के आस लगाए बैठे हैं. नेहा का परिवार उनकी हत्या के मामले में नए सिरे से जांच की मांग को लेकर दर-दर भटक रहा है. याद रहे कि नेहा 1971 युद्ध के अनुभवी कैप्टन (सेवानिवृत्त) कैलाश कुमार शौरी की बेटी थीं.
पुलिस पर जांच में लापरवाही करने का आरोप साल 2019 में पंजाब एफडीए की अफसर नेहा शौरी मोहाली के खरड़ में ड्रग लाइसेंसिंग अथॉरिटी के तौर पर तैनात थीं. उनके परिवार के सदस्यों का आरोप है कि पंजाब पुलिस ने इस हत्याकांड की जांच को नाकाम कर दिया. उन्होंने जानबूझकर कुछ सबूतों को नजरअंदाज किया, जिससे इस खौफनाक हत्याकांड के पीछे के असली चेहरों (ड्रग माफिया) की गिरफ्तारी हो सकती थी. पुलिस ने एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी जिसमें कहा गया था कि हमलावर बलविंदर सिंह के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, जिसने उसी दिन यानी 29 मार्च, 2019 को नेहा शोरी की हत्या करने के बाद खुद को गोली मार ली थी.
आरोपी बलविंदर को लेकर पुलिस की थ्योरी पुलिस ने दावा किया कि हमलावर बलविंदर सिंह, मोरिंडा, रूपनगर का रहने वाला था और वह एक केमिस्ट की दुकान चलाता था. जिसके यहां 2009 में एफडीए की टीम ने छापा मारा था. परिवार के अनुसार नेहा उस टीम में शामिल थी. वो उस समय एक प्रोबिशनर थी. उस टीम ने बलविंदर सिंह को अनधिकृत दवाएं बेचने के इल्जाम में पकड़ा था. इसके बाद, FDA ने आरोपी की केमिस्ट शॉप का लाइसेंस भी रद्द कर दिया था. सूत्रों का कहना है कि आरोपी एक दशक बाद अपनी पत्नी के नाम पर एक और लाइसेंस चाहता था, जिसके लिए उसने आवेदन किया था. लेकिन वो आवदेन एफडीए की ओर से रिजेक्ट कर दिया गया था. पुलिस की थ्योरी कहती है कि इसी वजह से एफडीए अधिकारी नेहा की हत्या गुस्से में की गई क्योंकि आरोपी महिला अधिकारी से निजी दुश्मनी मानता था.
100 करोड़ के ब्यूप्रेनोर्फिन घोटाले की शिकायत एफडीए अफसर नेहा शौरी ने 14 जुलाई, 2018 को तत्कालीन ड्रग कंट्रोलर को अपनी आंतरिक रिपोर्ट सौंपी थी. जिसमें निजी नशा मुक्ति केंद्रों पर ब्यूप्रेनोर्फिन और अन्य दवाओं के दुरुपयोग की जानकारी दी गई थी. उनके पिता कैप्टन कैलाश कुमार शौरी और परिवार के अन्य सदस्य इसी बात को नेहा की हत्या का मुख्य कारण मानते हैं. क्योंकि भ्रष्ट राजनेताओं, पुलिस अधिकारियों और निजी नशा मुक्ति केंद्रों के बीच सांठगांठ थी, इसी के चलते वे नियंत्रित दवाएं बेचकर पैसा कमा रहे थे.
बिना रिकॉर्ड बेची थी 5 करोड़ ब्यूप्रेनोर्फिन की गोलियां जांच से पता चला है कि 2019 में पंजाब के 23 निजी नशा मुक्ति केंद्रों ने बिना किसी रिकॉर्ड के 100 करोड़ रुपये मूल्य की लगभग पांच करोड़ ब्यूप्रेनोर्फिन गोलियां बेचीं थीं. जांच में पाया गया कि मज़े के लिए उस दवा का दुरुपयोग किया जा रहा था, क्योंकि ब्यूप्रेनोर्फिन एक ओपिओइड एगोनिस्ट है और इसका प्रभाव अफीम की तरह होता है. पंजाब स्वास्थ्य विभाग के नतीजों से पता चलता है कि इलाज के लिए नामांकित 17 प्रतिशत नशेड़ी इस दवा के आदी थे.
विधानसभा में ब्यूप्रेनोर्फिन को लेकर हुआ था हंगामा तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर आरोप थे कि उसने ब्यूप्रेनोर्फिन के दुरुपयोग के मामले को छुपाने की कोशिश की थी. और कथित तौर पर मामले की जांच कर रही ईडी के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया था. राज्य सरकार ने ब्यूप्रेनोर्फिन खरीद और वितरण दस्तावेज सौंपने से इनकार कर दिया था. एजेंसी को गुमराह करने के लिए अधिकारियों और निजी नशामुक्ति केंद्रों द्वारा नशीली दवाओं के उपयोग के आंकड़ों में भी कथित तौर पर हेराफेरी की गई थी. इस मामले ने राज्य विधानसभा को भी हिलाकर रख दिया था.

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