
न्यायपालिका की स्वतंत्रता छीनने का कोई भी प्रयास लोकतंत्र पर हमला होगा: जस्टिस लोकुर
The Wire
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर ने न्यायपालिका के साथ सरकार के बढ़ते टकराव पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान की मूल संरचना का हिस्सा और लोकतंत्र का आधार है. सरकार क़ानून या संवैधानिक संशोधन के माध्यम से इसे किसी भी तरह वापस नहीं ले सकती है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर ने कहा है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता में बाधा डालने के प्रयास काम नहीं करेंगे.
न्यायिक नियुक्तियों के विषय पर सरकार के साथ न्यायपालिका के बढ़ते टकराव की पृष्ठभूमि में मंगलवार को एनडीटीवी से बात करते हुए जस्टिस मदन बी. लोकुर ने उक्त शब्द कहे.
उन्होंने न्यायपालिका की आलोचना करने वाले केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के हाल के बयानों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वे अकारण ही ऐसे बयान दे रहे हैं और इसलिए यह चौंकाने वाला है.
जब उनसे पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल के इन आरोपों कि ‘सरकार स्वतंत्रता के आखिरी दुर्ग को भी ढहाने की कोशिश कर रही है’, के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘कानून या संवैधानिक संशोधन के माध्यम से सरकार न्यायपालिका की स्वतंत्रता को किसी भी तरह से वापस नहीं ले सकती है.’