![नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस बने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया, प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग मंजूर](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202408/66b26a88a1f9d-nobel-laureate-muhammad-yunus-062511290-16x9.jpeg)
नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस बने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया, प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग मंजूर
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बांग्लादेश में पिछले काफी दिनों प्रदर्शन करने वाले छात्रों ने मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. मीटिंग में आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्र नेताओं के साथ-साथ तीनों सेनाओं के प्रमुख भी शामिल हुए.
बांग्लादेश (Bangladesh) में पिछले कई दिनों की सियासी उठापटक के बाद अंतरिम सरकार का गठन होने वाला है. नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है. देश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की अध्यक्षता में बंगा भवन (राष्ट्रपति भवन) में एक मीटिंग के दौरान यह फैसला लिया गया. प्रदर्शनकारी छात्रों ने मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. मीटिंग में आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्र नेताओं के साथ-साथ तीनों सेनाओं के प्रमुख भी शामिल हुए.
गरीबी से लड़ने में अपने काम के लिए 'गरीबों के बैंकर' के रूप में मशहूर मोहम्मद यूनुस, अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में प्रदर्शनकारी छात्रों की पहली पसंद थे.
कौन हैं मोहम्मद यूनुस?
मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के धुर विरोधी हैं. शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना के पीछे एक प्रमुख कारण इन्हें भी माना जा रहा है.
'गरीबों के बैंकर' के रूप में पहचाने जाने वाले यूनुस और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला चुका है. कारण, उन्होंने गांव में रहने वाले गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे-छोटे कर्ज दिलाकर लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की थी. इन गरीबों को बड़े बैंकों से कोई मदद नहीं मिल पाती थी.
उनके कर्ज देने के इस मॉडल ने दुनिया भर में ऐसी कई योजनाओं को प्रेरित किया. इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित देश भी शामिल हैं. अमेरिका में यूनुस ने एक अलग गैर-लाभकारी संस्था ग्रामीण अमेरिका की भी शुरुआत की. 84 वर्षीय यूनुस जैसे-जैसे सफल होते गए उनका झुकाव राजनीति में करियर बनाने की ओर बढ़ता चला गया. उन्होंने 2007 में अपनी खुद की पार्टी भी बनाने की कोशिश की. लेकिन जब उनकी इस महत्वाकांक्षा ने बड़ा रूप लेना शुरू किया तब शेख हसीना नाराज हो गईं. हसीना ने यूनुस पर पर 'गरीबों का खून चूसने' का आरोप भी लगाया.
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