नॉर्थ ईस्ट डायरी: विदेशी घोषित होने का आदेश रद्द होने के बाद असम की महिला ने की मुआवज़े की मांग
The Wire
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के समाचार.
गुवाहाटी: भारत की नागरिकता साबित करने की लड़ाई ने 55 वर्षीय हसीना भानु और उनके बीमार पति को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाया हो, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि गौहाटी उच्च न्यायालय सुनिश्चित करेगा कि उन्हें पर्याप्त मुआवजा दिया जाए. #Nagaland | A massive crowd gathered for a rally organized by the Naga Students' Federation in Kohima on Friday, to protest against #AFSPA after 14 civilians were killed by security forces in Mon district on December 4 and 5. pic.twitter.com/WY3Cu01YXO
उल्लेखनीय है कि बीते सप्ताह उच्च न्यायालय ने महिला को असम की तेजपुर सेंट्रल जेल से रिहा करने का आदेश दिया था. — EastMojo (@EastMojo) December 17, 2021
अपनी रिहाई के एक दिन बाद दरांग जिले के श्यामपुर गांव में अपने घर पहुंची भानु ने शुक्रवार को कहा कि उनका जीवन तबाह हो गया है क्योंकि उनके पति को कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए अपनी खेती वाली जमीन बेचनी पड़ी ताकि यह साबित कर सकें कि वह विदेशी नहीं हैं, बल्कि वास्तविक भारतीय नागरिक हैं.
उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘मेरे साथ घोर अन्याय हुआ… मेरा स्वाभिमान चकनाचूर हो गया, हमें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और हम आर्थिक रूप से मुश्किलों में फंस गए हैं. मेरी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए मैं गौहाटी उच्च न्यायालय और अपने वकील जाकिर हुसैन का आभार जताती हूं. मुझे उम्मीद है कि अदालत अधिकारियों को हमें पर्याप्त मुआवजा देने का निर्देश देगी, नहीं तो हम बर्बाद हो जाएंगे.’