नेहरू और इतिहास को समझने के लिए मोदी को वाजपेयी और आडवाणी से बहुत सीखना है
The Quint
nehru modi bjp: सोशल मीडिया पर मोदी के प्यादे नेहरू के खिलाफ बेशुमार झूठ फैलाते हैं. इनमें से एक बड़ा झूठ है, कि वह हिंदू विरोधी थे.Modi's pawns spread a lot of lies against Nehru on social media. One of these big lies, that he was anti-Hindu.
BJP के राज में ICHR, इंडियन काउंसिल फॉर हिस्टोरिकल रिसर्च (भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद) नहीं रहा, यह ‘इंडियन काउंसिल फॉर हिस्ट्री रीराइटिंग’ हो गया है. इतिहासकारों की इस मुख्य राष्ट्रीय संस्था को और क्या कहा जा सकता है, जब उसने भारत के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में झूठ रोपना और अतीत को हिंदुत्व के रंगों में रंगना शुरू कर दिया है, जबकि ये भारत की आजादी का 75वां वर्ष है, जिसे ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के तौर पर मनाया जा रहा है.ICHR की वेबसाइट पर राष्ट्रीय नेताओं की तस्वीरें हैं- जैसे महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, डॉ. बी. आर. अंबेडकर, वी. डी. सावरकर, शहीद भगत सिंह, पंडित मदन मोहन मालवीय, सरदार वल्लभ भाई पटेल और राजेंद्र प्रसाद. इस तस्वीरों के बाद राजनैतिक गलियारों में हंगामा मच गया और कई गंभीर सवाल उठाए गए. क्या सावरकर आठ महान लोगों में शामिल हैं? वह कौन था जिसने जेल से निकलने के लिए ब्रिटिश सरकार को ‘माफीनामा’ लिखा था? हिंदु महासभा का अध्यक्ष कौन था जोकि प्रचंड मुसलमान विरोधी था और ‘टू-नेशन’ थ्योरी की वकालत करता था- जिस थ्योरी के लिए मोहम्मद अली जिन्ना को बदनाम किया गया है.क्या महान विद्वान मालवीय आजादी के आंदोलन के अगुवा नेताओं में शामिल होने लायक हैं? बाल गंगाधर तिलक को इस सूची से बाहर क्यों रखा गया है जिन्होंने ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ जैसा नारा दिया था? मौलाना अबुल कलाम आजाद इनमें क्यों शामिल नहीं जो भारत के विभाजन के सख्त खिलाफ थे? क्या मालवीय का योगदान देशबंधु चितरंजन दास से ज्यादा है जिनके बारे में महात्मा गांधी ने कहा था, “वे महान पुरुषों से एक हैं... वह भारत की आजादी के सपने देखते हैं, उसके बारे में बात करते हैं, और कुछ नहीं?” या भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाली महान ब्रिटिश समाजवादी और थियोसोफिस्ट एनी बेसेंट की.ADVERTISEMENTजिनके नाम छोड़ दिए गएमैडम भीकाजी कामा, खान अब्दुल गफ्फार खान, गोपीनाथ बोरदोलोई, एनजी रंगा, डॉ. जाकिर हुसैन, छोटू राम- ऐसे कई नाम याद किए जा सकते हैं, और ICHR को इसका जवाब देने में कड़ी मेहनत करनी होगी कि इनकी बजाय उसे सावरकर और मालवीय क्यों पसंद हैं.लेकिन एक ऐसा जोरदार सवाल और भी है जो मोदी सरकार और बीजेपी को कटघरे में खड़ा करता है. यह सवाल है, “...More Related News