
नेपाल का कोरोना संकट: क्या भारत के इस फ़ैसले का भी है असर?
BBC
नेपाल मेडिकल सप्लाई के लिए भारत पर निर्भर है. लेकिन भारत भी कोरोना की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित है. ऐसे में नेपाल पर दोहरी मार पड़ी है.
काँपती आवाज़ में परशुराम मौर्य बताते हैं कि कैसे वो कोविड-19 से अपने पिता की जान बचाने के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भागते फिर रहे हैं. दक्षिण-पश्चिमी शहर नारायणपुर मे रहने वाले किसान सुंदर मौर्य को जब साँस लेने में परेशानी होने लगी, तो उन्होंने अपना कोरोना टेस्ट कराया. 3 मई को उनका टेस्ट पॉज़िटिव आया. इसके कुछ ही दिनों के भीतर उनकी हालत बिगड़ने लगी. उनके बेटे परशुराम मौर्य क़रीब 55 साल के अपने पिता को लेकर बांके ज़िले के तीन अस्पतालों में गए, लेकिन बेड और ऑक्सीजन की कमी की वजह से सभी अस्पतालों ने उन्हें भर्ती करने से इनक़ार कर दिया. जब तक उन्हें एक बेड मिलता, तब तक बहुत देर हो गई थी. मौर्य ने बीबीसी को बताया, "हम तबाह हो गए हैं. उन्हीं की कमाई से परिवार का गुज़ारा चलता था. अब मुझे ही मेरे परिवार और मेरे तीन छोटे भाइयों का ख़्याल रखना है. उन्हें संभालना है. मेरी माँ तबसे लेकर अब तक सिर्फ़ रोए जा रही है."More Related News