
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की वो अनूठी प्रेम कहानी
BBC
सुभाष चंद्र बोस की 121वीं जयंती पर उनके जीवन के अनछुए पहलुओं की पड़ताल.
ये 1934 का साल था. सुभाष चंद्र बोस उस वक्त ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में थे. उस वक्त तक उनकी पहचान कांग्रेस के योद्धा के तौर पर होने लगी थी.
सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान जेल में बंद सुभाष चंद्र बोस की तबीयत फरवरी, 1932 में ख़राब होने लगी थी. इसके बाद ब्रिटिश सरकार उनको इलाज के लिए यूरोप भेजने पर मान गई थी, हालांकि इलाज का खर्च उनके परिवार को ही उठाना था.
विएना में इलाज कराने के साथ ही उन्होंने तय किया कि वे यूरोप रह रहे भारतीय छात्रों को आज़ादी की लड़ाई के लिए एकजुट करेंगे. इसी दौरान उन्हें एक यूरोपीय प्रकाशक ने 'द इंडियन स्ट्रगल' किताब लिखने का काम सौंपा, जिसके बाद उन्हें एक सहयोगी की ज़रूरत महसूस हुई, जिसे अंग्रेजी के साथ साथ टाइपिंग भी आती हो.
बोस के दोस्त डॉ. माथुर ने उन्हें दो लोगों का रिफ़रेंस दिया. बोस ने दोनों के बारे में मिली जानकारी के आधार पर बेहतर उम्मीदवार को बुलाया, लेकिन इंटरव्यू के दौरान वे उससे संतुष्ट नहीं हुए. तब दूसरे उम्मीदवार को बुलाया गया.
ये दूसरी उम्मीदवार थीं, 23 साल की एमिली शेंकल. बोस ने इस ख़ूबसूरत ऑस्ट्रियाई युवती को जॉब दे दी. एमिली ने जून, 1934 से सुभाष चंद्र बोस के साथ काम करना शुरू कर दिया.