![नेताओं-नौकरशाहों के लिए विफलता स्वीकार करना मुश्किल, क्योंकि ये इनके ख़ून में होता है: अदालत](http://thewirehindi.com/wp-content/uploads/2019/11/Delhi-High-Court-PTI.jpg)
नेताओं-नौकरशाहों के लिए विफलता स्वीकार करना मुश्किल, क्योंकि ये इनके ख़ून में होता है: अदालत
The Wire
दिल्ली हाईकोर्ट ने अधीनस्थ न्यायिक अधिकारियों के कामकाज के कारण कोविड-19 संक्रमण की गिरफ़्त में आने की आशंका पर चिंता प्रकट करते हुए यह टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि उसका प्राथमिक दृष्टिकोण है कि उनके साथ सशस्त्र बलों और पुलिस बल के कर्मचारियों की भांति अग्रिम मोर्चे के कर्मचारियों की तरह बर्ताव किया जाना चाहिए और सरकार इस पर विचार करे.
नई दिल्ली: अधीनस्थ न्यायिक अधिकारियों के अपने कामकाज के कारण कोविड-19 संक्रमण की गिरफ्त में आने की आशंका पर चिंता प्रकट करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि नेताओं और नौकरशाहों के लिए अपनी विफलता एवं अयोग्यता स्वीकार करना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि यह उनके खून में ही नहीं होता. उच्च न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में तीन न्यायिक अधिकारी इस वायरस से संक्रमित होकर पहले ही अपनी जान गंवा चुके हैं, इसलिए उसका प्राथमिक दृष्टिकोण है कि उनके साथ सशस्त्र बलों और पुलिस बल के कर्मचारियों की भांति अग्रिम मोर्चे के कर्मचारियों की तरह बर्ताव किया जाना चाहिए एवं सरकार इस पर विचार करे. जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में हम संवैधानिक पदों पर हैं. हमारे प्रोटोकॉल भिन्न हैं, लेकिन अधीनस्थ न्यायपालिका के मामले में ऐसी बात नहीं है. न्यायिक अधिकारियों की स्थिति भिन्न होती है और आपको भलमनसाहत से कदम उठाना चाहिए. आप इस पर गौर कीजिए और फिर तय कीजिए.’ पीठ दिल्ली सरकार की इस दलील से प्रभावित नजर नहीं आई कि उच्च न्यायालय ने पहले एक आदेश जारी करके कहा था कि दिल्ली के जिला न्यायाधीश कोविड-19 महामारी के दौरान न्यायिक अधिकारियों एवं उनके परिवारों की चिकित्सा चिंताओं का समाधान करने के लिए जिलाधिकारियों के साथ समन्वय करेंगे और हर जिले में इस संबंध में नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं.More Related News