
नीतीश कुमार के महाजुटान को केजरीवाल का झटका, शिमला मीटिंग में आने के लिए रखी ये शर्त
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शुक्रवार 23 जून को पटना में हुई राजनीतिक दलों की बैठक पर ज्यादातर नेताओं में सहमति बनी है. वहीं अगली बैठक अगले महीने शिमला में होनी है. बैठक में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में लाए गए अध्यादेश का मुद्दा भी उठाया. इस पर कांग्रेस की तरफ से रुख साफ नहीं किया गया है. इसको लेकर आम आदमी पार्टी की तरफ से सवाल उठाए गए हैं.
पटना में हुई विपक्षी दलों की महाबैठक में अधिकांश नेताओं में सहमति बनी है. अंतिम फैसला 12 जुलाई को शिमला में होने वाली अगले चरण की बैठक में लिया जाएगा. तभी सीटों के बंटवारे को लेकर भी मंथन होगा. इस बीच आम आदमी पार्टी की तरफ से नीतीश कुमार के इस महाजुटान को झटका मिलता नजर आ रहा है. कारण, शिमला मीटिंग में आने के लिए आम आदमी पार्टी ने महाबैठक में शामिल हुईं सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए बड़ी शर्त रख दी है.
दरअसल, शुक्रवार 23 जून को पटना में हुई राजनीतिक दलों की बैठक पर आम आदमी पार्टी ने बयान जारी किया है. इसमें पार्टी की तरफ से कहा गया है कि जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से काले अध्यादेश का विरोध नहीं करती है और ये घोषणा नहीं करती है कि उसके सभी 31 राज्यसभा सांसद राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे, तब तक आम आदमी पार्टी के लिए समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य में होने वाली बैठकों में भाग लेना मुश्किल होगा, जिसमें कांग्रेस भी हिस्सा ले रही है.
आम आदमी पार्टी ने अपने बयान में कहा है कि केंद्र के काले अध्यादेश का उद्देश्य न केवल दिल्ली में निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए भी एक खतरा है. यदि इसे चुनौती न दी गई, तो यह खतरनाक प्रवृत्ति अन्य सभी राज्यों में भी अपनाई जा सकती है. इसका परिणाम यह होगा कि जनता द्वारा चुनी गई दूसरे राज्य सरकारों से भी सत्ता छीनी जा सकती है. इसलिए इस काले अध्यादेश को राज्यसभा में पास होने से रोकना बहुत ही जरूरी है.
11 दलों ने काले अध्यादेश के खिलाफ रुख साफ किया: आप
आगे कहा गया कि पटना की बैठक में समान विचारधारा वाली 15 पार्टियां शामिल हुईं. इनमें से 12 का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में है. कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी 11 दलों, जिनका राज्यसभा में प्रतिनिधित्व है, उन्होंने काले अध्यादेश के खिलाफ स्पष्ट रूप से अपना रुख साफ कर दिया है और इन पार्टियों ने घोषणा की है कि वे राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे. कांग्रेस, एक राष्ट्रीय पार्टी है, जो लगभग सभी मुद्दों पर एक स्टैंड लेती है. इसके बाद भी कांग्रेस ने अभी तक काले अध्यादेश को लेकर अपना रुख सार्वजनिक नहीं किया है. वहीं, कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब यूनिट्स ने घोषणा की है कि पार्टी को इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन करना चाहिए.
'कांग्रेस की चुप्पी संदेह पैदा करती है'

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