
निर्मल वर्मा: मशहूर लेखक, जिन्होंने इंदिरा गांधी को 'साक्षात बुराई' कहा था
BBC
ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी लेखक निर्मल वर्मा के जन्मदिन पर उनके जीवन की एक झलक.
मुझे याद है, 2012 की गर्मियों में जब मैं अपने शहर भोपाल से सामान समेट कर रोज़गार के लिए दिल्ली रवाना हुई थी, तब मेरे हाथों में निर्मल वर्मा का उपन्यास 'एक चिथड़ा सुख' था. भोपाल एक्सप्रेस की स्लीपर कोच में साइड लोअर बर्थ पर सिकुड़ कर बैठी हुई मैं रास्ते भर यह किताब पढ़ती रही थी. आज छह साल बाद पीछे मुड़कर देखने पर लगता है कि दिल्ली और इसके महानगरीय पागलपन को सहने का साहस मुझे इस शहर की पृष्ठभूमि पर लिखे गए 'एक चिथड़ा सुख' से ही मिला. उपन्यास की शुरुआत में नायक मेरी ही तरह एक छोटे शहर से दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में रहने आता है. "मार्च की हल्की धुंध में सिर्फ एक गुम्बद दिखाई देता था- पेड़ों के ऊपर अटका हुआ. वह उन खंडहरों का हिस्सा था, जो मकानों की पीठ से पीठ लगाए दूर तक चले गए थे. पहले दिन जब यहाँ आया था तो उसे बहुत हैरानी हुई थी. दिल्ली भी कैसा शहर है! मुर्दा टीलों तले लोग जिंदा रहते हैं". किताब में खींचे गए दिल्ली के ऐसे अनगिनत बिम्बों ने न सिर्फ निर्मल की नज़र से दिल्ली को समझने में मेरी मदद की बल्कि महानगरों के कठोर जीवन को भी करुणा से स्वीकार कर अपना बनाने की हिम्मत दी.More Related News