नागपुर पुलिस के अचानक रेड लाइट एरिया बंद कर देने से सेक्स वर्कर्स पर आजीविका का संकट
The Wire
11 अगस्त को नागपुर के कमिश्नर ने कथित अपराधों का हवाला देते हुए एकाएक शहर के बीचोंबीच बने रेड लाइट एरिया 'गंगा-जमुना' को बंद करने के आदेश के बाद यहां की सेक्स वर्कर्स आय बंद हो गई. राज्य की महिला और विकास मंत्री यशोमती ठाकुर ने इस क़दम की आलोचना करते हुए कहा है कि पुलिस ने उनकी आजीविका के बारे में सोचे बिना यह कार्रवाई की है.
मुंबई: नागपुर शहर के बीचों-बीच 250 साल पहले बने रेड लाइट एरिया ‘गंगा-जमुना’ की ओर जाने वाले 16 रास्तों में से 15 को पुलिस ने बैरिकेड लगाकर बंद कर दिया गया है. हर एंट्री पॉइंट पर कम से कम तीन पुलिसकर्मी और सीसीटीवी कैमरे से लैस एक पुलिस वैन दिन-रात चौकसी करते देखे जा सकते हैं. इस तीन एकड़ क्षेत्र में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144, जिसका अर्थ ‘उपद्रव’ या किसी ‘आशंकित खतरे’ पर अंकुश लगाना है, लगा दी गई है. क्षेत्र में प्रवेश करने वाले किसी भी बाहरी व्यक्ति, खासकर पुरुषों से उनके आने का कारण पूछा जाता है. असंतोषजनक जवाब मिलने पर पिटाई भी हो सकती है. दो हजार से ज्यादा महिलाएं, जिनमें कुछ अविवाहित हैं और कईयों के छोटे बच्चे भी हैं, तीन एकड़ क्षेत्र के अंदर मानो कैद-सी कर दी गई हैं. सेक्स की तो बात ही छोड़ दीजिए, वे बमुश्किल अपने घरों से ही बाहर निकलते से देखी जा सकती हैं. 11 अगस्त को नागपुर शहर के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने एकाएक ही क्षेत्र को बंद करने का फरमान सुना दिया जिसने लगभग पूरे गंगा-जमुना क्षेत्र को बेरोजगार बना दिया. अचानक और एकाएक लिए गए इस फैसले का असर इतना गंभीर है कि ज्यादातर महिलाओं को पूरे अगस्त माह के दौरान कोई आमदनी नहीं हुई. करीब तीस वर्षीय जया जब महज 14 साल की थीं, तब ओडिशा के सूखाग्रस्त जिले फूलबनी से गंगा-जमुना आ गई थीं. वह वो वक्त याद करते हुए बताती हैं, ‘उस बरस हमारे घर में खाने के लिए मुश्किल से कुछ होता था. नौकरी और भरपेट खाने की आस में मैं घर से भाग गई थी.’More Related News