
नहीं रहीं प्रख्यात महिला अधिकार कार्यकर्ता और लेखक कमला भसीन
The Wire
भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में नारीवादी आंदोलन की प्रमुख आवाज़ रहीं 75 वर्षीय कमला भसीन का शनिवार तड़के निधन हो गया. वे लैंगिक समानता, शिक्षा, ग़रीबी-उन्मूलन, मानवाधिकार और दक्षिण एशिया में शांति जैसे मुद्दों पर 1970 से लगातार सक्रिय थीं.
नई दिल्ली: प्रख्यात महिला अधिकार कार्यकर्ता, कवयित्री और लेखक कमला भसीन का शनिवार को निधन हो गया. वह 75 वर्ष की थीं. Kamla Bhasin, our dear friend, passed away around 3am today 25th Sept. This is a big setback for the women's movement in India and the South Asian region. She celebrated life whatever the adversity. Kamla you will always live in our hearts. In Sisterhood, which is in deep grief pic.twitter.com/aQA6QidVEl 2017 में दिए एक साक्षात्कार में भसीन में कहा था कि पुरुषों को मैं यह कहना चाहूंगी कि उन्हें यह समझना होगा कि पितृसत्ता किस तरह उनका अमानवीकरण (डिह्यूमनाइज) कर रही है. जैसे, उदाहरण के लिए, पितृसत्ता उन्हें रोने की इजाज़त नहीं देती. उन्होंने अपना इमोशनल इंटेलीजेंस खो दिया है. वे ख़ुद अपनी भावनाओं को नहीं समझ पाते. ‘क्या आपको लगता है कि स्त्री का रेप करनेवाला पुरुष इंसान है? उसे कहा गया है कि उसे दूसरे समुदाय की औरत का रेप करना है- कि वह एक लड़ाका है, और वह एक बड़े मकसद के लिए रेप कर रहा है. वह अपने शरीर को औरतों के ख़िलाफ़ एक हथियार में बदल देता है. क्या वह हथियार तब प्रेम का औजार बन सकता है? I always thought #KamlaBhasin was invincible n so she remained till the end…There was no dichotomy between what she said and what she did.We at ActionAid will be poorer by her loss as will the thousands whose life she touched! Lets celebrate her life and contribution RIP Fiesty #KamlaBhasin, has fought her last battle singing & celebrating a life well lived. Her absence will be felt acutely. Her gutsy being, laughter & song; her wonderful strength are a legacy Always with us in spirit, she lives on with thousands of us. Aruna Roy & @mkssindia pic.twitter.com/fKdP8hfq4y Very sad to hear about the tragic demise of dear friend and an exceptional human being Kamla Bhasin. We were just discussing about her health yesterday but never realised that she will leave us next day. U will be terribly missed.🙏🙏 https://t.co/sxlvzMakSY
सामजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने ट्विटर पर बताया कि भसीन ने तड़के करीब तीन बजे अंतिम सांस ली. — Kavita Srivastava (@kavisriv) September 25, 2021 अमेरिका में टेड टॉक हमें बताते हैं कि वहां लड़कियों की तुलना में किशोर लड़कों की ख़ुदकुशी की दर चार गुनी है, क्योंकि वे ख़ुद को ही नहीं समझ पाते हैं. बांग्लादेश में पाकिस्तानी सैनिक, वियतनाम में अमेरिकी सैनिक, या भारत में हिंदू दक्षिणपंथी व्यक्ति- जब वे किसी ऐसे समुदाय की औरत से रेप करते हैं, जिससे वे नफरत करते हैं, तब वे अपना बच्चा उसी औरत के गर्भ में डाल देते हैं, जो उनकी नफरत का निशाना बनती हैं. उनकी संतति के साथ उनका क्या रिश्ता है? — Azmi Shabana (@AzmiShabana) September 25, 2021 — Nikhil Dey (@nikhilmkss) September 25, 2021 — S lrfan Habib (@irfhabib) September 25, 2021
अगर एक औरत किसी पुरुष से यह कहती है कि वह उससे प्यार नहीं करती, तो वह उसके चेहरे पर तेजाब फेंक देता है. जब उसे लगता है कि उसकी बीवी ने उसे प्यार से नहीं चूमा है, तो वह शिकायत नहीं करता. वह उसे चांटा मार देने को ज़्यादा आसान समझता है, क्योंकि पितृसत्ता ने उसे यही सिखाया है. एक पुरुष जो बस में किसी स्त्री के स्तनों को दबाने में खुशी महसूस करता है, उसे एक मनोरोग चिकित्सक के पास जाना चाहिए. वह सेहतमंद नहीं है. जब लोग कहते हैं कि किसी समुदाय की औरत का रेप होने से उस समुदाय की इज्जत मिट्टी में मिल गई, तो मैं यह पूछती हूं कि आख़िर वे अपना सम्मान किसी औरत के शरीर में क्यों रखते हैं? इस दुनिया में जो कुछ भी खराब है, उसके पीछे मैं वर्चस्ववादी मर्दानगी, जहरीली मर्दानगी का हाथ देखती हूं.