नरेंद्र मोदी ने कृषि क़ानून वापस ले लिए, पर भाजपा किसान विरोधी बयान कब वापस लेगी?
The Wire
जब से किसानों ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन शुरू किया था, तब ही से भाजपा नेताओं से लेकर केंद्रीय मंत्रियों तक ने किसानों को धमकाने और उन्हें आतंकी, खालिस्तानी, नक्सली, आंदोलनजीवी, उपद्रवी जैसे संबोधन देकर उन्हें बदनाम करने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी थी.
Arvind Kejriwal led Delhi government has already notified the new Farm Laws on 23Nov20 and had started implementing them. आतंकवादी भिंडरावाले किसान तो नहीं था? देश के 90 फीसद किसानों को भरोसा है कि जिस प्रधानमंत्री ने उन्हें स्वायल हेल्थ कार्ड और नीम लेपित यूरिया से लेकर किसान सम्मान योजना तक के लाभ दिये, वे कभी किसानों का अहित नहीं करेंगे। विपक्ष का असत्य पराजित होगा। Farmers protests co opt @medhanarmada , @_YogendraYadav , AAP Party leaders , forces from abroad who are supporters of Khalistan movement . It will be good to farmers to understand the design & become wiser . Don’t allow farmers to become guinea pigs for anarchist designs .
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों से माफी मांगते हुए विवादित तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की है. संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इन कानूनों को रद्द किए जाने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा किया जाना है. But now that the Khalistanis and Maoists have stepped in to oppose, he sees an opportunity to burn down Delhi. उत्तर प्रदेश में जिस तरह गुंडे तथाकथित किसान बन कर हिंसक आंदोलन कर रहे हैं, वो कोई संयोग नहीं बल्कि एक सुनियोजित प्रयोग लगता है। — Sushil Kumar Modi (@SushilModi) December 2, 2020 — B L Santhosh (@blsanthosh) November 29, 2020
मोदी ने ये घोषणा करते हुए अपने भाषण में विशेष रूप से कहा, ‘हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी.’ It was never about farmers. Just politics… pic.twitter.com/s5gMq9z8oW जिहादी और खालिस्तानी अराजक तत्व प्रदेश में अशांति फैलाना चाहते हैं।
उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए. कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया.’ — Amit Malviya (@amitmalviya) November 30, 2020 #LakhimpurKheri pic.twitter.com/z5V6EbwWk0