नरेंद्र मोदी के आठ साल के कार्यकाल का सार- बांटो और राज करो
The Wire
'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' और 'सबका साथ-सबका विकास' सरीखे नारे देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने शासन में इस पर अमल करते नज़र नहीं आते हैं.
नई दिल्ली: कुछ लोगों को उनमें आधुनिक नीरो नजर आता है, जबकि कई उन्हें भगवान राम का कलयुगी अवतार मानकर फूले नहीं समाते.
केंद्र सरकार के मुखिया के तौर पर नरेंद्र मोदी आजादी के बाद से अब तक के सबसे ज्यादा विभाजनकारी प्रधानमंत्री रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी को लगातार दो बार संसदीय चुनावों में जबरदस्त जीत दिलाने वाले मोदी भारत के भीतर ही नहीं बाहर भी ‘न्यू इंडिया’ के प्रतीक हैं.
उनके प्रशंसक प्रधानमंत्री के लार्जर दैन लाइफ व्यक्तित्व को एक मूर्तिभंजक राजनीति के हिस्से के तौर पर देखते हैं, जिसकी वर्तमान समय में विकासशील भारत को सख्त जरूरत है.
उनके आलोचकों, जिनमें ज्यादातर भारत के लोकतंत्रवादियों का असंतुष्ट तबका और भारतीय अल्पसंख्यक शामिल हैं, को लगता है कि उन्होंने अपनी कुर्सी का इस्तेमाल सिर्फ एक खास तरह की विभाजनकारी राजनीतिक को पुख्ता करने के लिए किया है, जिसका नतीजा भविष्य में भारत के विखंडन के तौर पर निकल सकता है.