नरेंद्र गिरि केस: सुसाइड नोट, ब्लैकमेलिंग, गनर्स की लोकेशन... सीबीआई को सुलझानी होंगी ये गुत्थियां
AajTak
महंत नरेंद्र गिरि की मौत की गुत्थी सुलझाने की ज़िम्मेदारी अब सीबीआई के कंधों पर आ सकती है. उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र से सीबीआई जांच करवाने की सिफारिश की है. ऐसे में एजेंसी के सामने कई तरह की चुनौतियां होंगी.
Narendra Giri Death Case: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई महंत नरेंद्र गिरि की मौत की गुत्थी सुलझाने की जिम्मेदारी अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को मिल सकती है. उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के सामने सीबीआई जांच की सिफारिश की है. नरेंद्र गिरि की मौत पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे थे, उनके कमरे से मिले सुसाइड नोट ने काफी कुछ इशारा भी किया, ऐसे में संत समाज की ओर से उठ रही मांग को पूरा किया गया. लेकिन सीबीआई के लिए इस केस को सुलझाना आसान नहीं होगा, क्योंकि अभी तक जो बातें सामने आई हैं वह केस को उलझाती हुई दिख रही हैं. ऐसे में अगर सीबीआई अपने हाथ में ये केस लेती है, तब उसके सामने किस तरह की चुनौतियां होंगी. एक नज़र डाल लीजिए... सुसाइड नोट की कड़ी को सुलझाना: महंत नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में आनंद गिरि का नाम लिया है, आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया गया है. लेकिन उसके साथ नरेंद्र गिरि का पूरा विवाद क्या था, नरेंद्र गिरि ने जिस वीडियो और फोटो की बात की है, वह कहां है और उसमें क्या है, ये सवाल अभी अनसुलझे हैं. ब्लैकमेलिंग का डर कितना बड़ा?: महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में चौंकाने वाली बात जो आई है, उसमें ब्लैकमेलिंग का मसला है. नरेंद्र गिरि के मुताबिक, आनंद गिरि कुछ तस्वीरों को वायरल करने वाला था. नरेंद्र गिरि ने यही लिखा कि वह सम्मान के साथ जिए हैं, ऐसे में इस बदनामी के साथ नहीं जी पाएंगे. गनर्स की लोकेशन: नरेंद्र गिरि के चार गनर्स थे, लेकिन जब महंत की मौत हुई तो वो कहां थे इसका अभी जवाब नहीं मिला है. पुलिस ने जो पूछताछ की है, उसमें चारों गनर्स की ड्यूटी में लापरवाही की बात सामने आई थी. एक गनर पर संदेह भी हुआ है, जिसकी जांच की जा रही है. अब ये गुत्थी सीबीआई को ही सुलझानी होगी. क्या संपत्ति विवाद भी है वजह?: आनंद गिरि ने गिरफ्तारी से पहले दावा किया था कि नरेंद्र गिरि की हत्या की गई है और ये सब संपत्ति की वजह से हुआ है. जिस मठ के नरेंद्र गिरि प्रमुख थे उसके पास काफी संपत्ति है. आद्या तिवारी, संदीप तिवारी पर भी चंदे में गड़बड़ी के आरोप लगे थे, जिनका ज़िक्र सुसाइड नोट में भी हुआ है.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
आज शाम की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 23 नवंबर 2024 की खबरें और समाचार: खबरों के लिहाज से शनिवार का दिन काफी अहम रहा है. महाराष्ट्र में नतीजे आने के बाद सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पर पर अपना दावा ठोका है. सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव के नतीजों को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है.
हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.