'नफरत भरे भाषण बिल्कुल मंजूर नहीं...', नूंह हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर नटराज ने कहा कि भारत सरकार भी नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ है, जिसकी पूरी तरह जांच की जानी चाहिए. उन्होंने स्वीकार किया कि नफरत फैलाने वाले भाषणों से निपटने का तंत्र कुछ जगहों पर काम नहीं कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा समेत कई राज्यों में एक विशेष समुदाय के लोगों की हत्या और उनके सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार का आह्वान के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने यह देखते हुए कि समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द्र होना चाहिए, हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा एक समिति गठित करने का फैसला किया है, जो दर्ज मामलों की जांच करेगी. नूंह और मेवात में हाल ही में हुए सांप्रदायिक दंगों में छह लोगों की जान चली गई.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से निर्देश लेने और 18 अगस्त तक प्रस्तावित समिति के बारे में सूचित करने को कहा है. पीठ ने कहा, "समुदायों के बीच कुछ सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए और सभी समुदाय जिम्मेदार हैं. हमें नहीं पता कि क्या इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, लेकिन नफरत भरे भाषण बिल्कुल मंजूर नहीं है और कोई भी इसे स्वीकार नहीं कर सकता है."
पीठ ने कहा, "हम डीजीपी से उनके द्वारा नामित तीन या चार अधिकारियों की एक समिति गठित करने के लिए कह सकते हैं, जो स्टेशन हाउस अधिकारियों से सभी सबूत को प्राप्त करेगी और उनका अवलोकन करेगी और यदि सबूत प्रामाणिक है तो संबंधित पुलिस अधिकारी को उचित निर्देश जारी करेगी. पुलिस को संवेदनशील होने की जरूरत है."
शीर्ष अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला को वीडियो सहित सभी सामग्री एकत्र करने और 21 अक्टूबर, 2022 के फैसले के अनुपालन में प्रत्येक राज्य में नियुक्त नोडल अधिकारियों को सौंपने का भी निर्देश दिया. अब इस मामले की सुनवाई 18 अगस्त को होगी.
सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर नटराज ने कहा कि भारत सरकार भी नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ है, जिसकी पूरी तरह जांच की जानी चाहिए. उन्होंने स्वीकार किया कि नफरत फैलाने वाले भाषणों से निपटने का तंत्र कुछ जगहों पर काम नहीं कर रहा है.
शुरुआत में, अब्दुल्ला की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि लोगों को नफरत भरे भाषणों से बचाने की जरूरत है और "इस तरह का जहर नहीं चल सकता".
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