नपुंसकता का झूठा आरोप तलाक का आधार, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला रखा बरकरार
ABP News
महिला ने आरोप लगाया था कि उसका पति नपुंसकता की समस्या से पीड़ित है और विवाह नहीं चल पाने का असल कारण यही है. लेकिन मेडिकल रिपोर्ट की जांच करने पर पत्नी के आरोप को निराधार पाया गया.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक दंपति के बीच तलाक के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. इससे पहले दंपति ने तलाक की अनुमति देने वाले निचली अदालत के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि जीवनसाथी के खिलाफ नपुंसकता के बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाना क्रूरता के बराबर है और उस आधार पर तलाक दिया जा सकता है. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और एक महिला की याचिका को खारिज कर दिया जिसने अदालत में अपने पति के खिलाफ आरोप लगाया था. महिला ने पति की याचिका पर दिए गए तलाक को चुनौती दी थी. दंपति की साल 2012 में शादी हुई थी. लेकिन शादी के तुरंत बाद, पति ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और शादी को अमान्य घोषित करने की मांग की.More Related News