नजर का चश्मा हटाने का दावा करने वाली Eye Drop 'PresVu' पर क्यों लगी रोक?
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मुंबई स्थित एन्टोड फार्मास्यूटिकल्स ने दावा किया था कि उन्होंने मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया के इलाज के लिए प्रेस्वू नाम से एक आई ड्रॉप्स विकसित की है. और इसके नियमित इस्तेमाल से नजर का चश्मा हट सकता है. दावा था कि प्रेस्वू आई ड्रॉप किसी को भी चश्मा पहनने से बचा सकती है
नजर का चश्मा हटाने का दावा करने वाली आई ड्रॉप के भारतीय बाजार में आने से पहले ही रोक लगा दी गई है. कंपनी की तरफ से दावा किया गया था कि इस आई ड्रॉप के इस्तेमाल से नजर के चश्मे को हटाने में मदद मिल सकती है. भारत की दवा नियामक एजेंसी ने भी इसे मंजूरी दे दी थी, लेकिन अब CDSCO ने मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया को ठीक करने का दावा करने वाली इस आई ड्रॉप पर अगले नोटिस तक के लिए रोक लगा दी है.
दरअसल, मुंबई स्थित एन्टोड फार्मास्यूटिकल्स ने दावा किया था कि उन्होंने मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया के इलाज के लिए PresVu नाम से एक आई ड्रॉप्स विकसित की है. और इसके नियमित इस्तेमाल से नजर का चश्मा हट सकता है. दावा था कि आई ड्रॉप किसी को भी चश्मा पहनने से बचा सकती है.
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) द्वारा पहले प्रोडक्ट की सिफारिश किए जाने के बाद ENTOD फार्मास्यूटिकल्स को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से अंतिम मंजूरी भी मिल गई थी. लेकिन फार्मास्युटिकल्स कंपनी द्वारा इस आई ड्रोप प्रेस्वू (1.25% पिलोकार्पाइन w/v) के अनधिकृत प्रचार को गंभीरता से लेते हुए नियामक ने अगले आदेश तक उनकी अनुमति को निलंबित कर दिया है.
इसलिए आई ड्रॉप पर लगी रोक
बता दें कि प्रेस और सोशल मीडिया पर अनधिकृत प्रचार ने चश्मा लगाने वाले लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित किया था. इसके चलते इस आई ड्रॉप का असुरक्षित उपयोग और जनता के लिए सुरक्षा चिंता को लेकर दवा नियामक एजेंसी की टेंशन बढ़ गई. क्योंकि इसे केवल प्रिस्क्रिप्शन दवा के रूप में अनुमोदित किया गया है, यानी केवल डॉक्टर की सलाह पर ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता था. लेकिन इसका प्रचार ऐसे किया गया कि मानो हर कोई इसका इस्तेमाल कर अपना चश्मा हटा सकता है. अक्टूबर के पहले सप्ताह से प्रिस्क्रिप्शन-आधारित आई ड्रॉप्स 350 रुपये की कीमत पर फार्मेसियों में उपलब्ध होनी थी.
ड्रोप निर्माताओं ने किया था ये दावा
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