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नगालैंड हिंसा: क्या है 70 साल से चल रहे सशस्त्र आंदोलन का इतिहास?
BBC
14 नागरिकों की मौत के बाद एक बार फिर नगालैंड का अलगाववादी आंदोलन चर्चा में है. क्या है नगा लोगों के लिए एक 'स्वतंत्र क्षेत्र' मांगने वाले सशस्त्र विद्रोह का इतिहास?
भारतीय सेना की गोलियों से 14 नागरिकों की मौत के बाद, देश के अशांत उत्तर-पूर्वी राज्य नगालैंड में तनाव बना हुआ है. प्रशासन ने इंटरनेट पर रोक लगा दी है और व्यापक विरोध प्रदर्शन रोकने के लिए कर्फ़्यू भी लगाया गया है.
हिंसा की ये घटना शनिवार को हुई. राज्य के मोन ज़िले में सेना के एक गश्ती दल ने मज़दूरों के एक समूह को चरमपंथी समझकर उन पर गोलीबारी शुरू कर दी. इसमें छह लोग मारे गए.
सेना ने इसे "ग़लत पहचान का मामला" बताया, लेकिन स्थानीय लोगों ने सेना के इस दावे को ख़ारिज कर दिया.
इतना ही नहीं, उस घटना के बाद इलाक़े में तैनात सैनिकों के साथ स्थानीय लोगों की गुस्साई भीड़ की झड़प भी हो गई. उस झड़प में भारतीय सेना के एक जवान के अलावा सात और लोगों की मौत हो गई. रविवार की दोपहर में प्रदर्शनकारियों ने सेना के एक शिविर पर हमला कर दिया. इसमें भी एक नागरिक की मौत हो गई.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटना पर "गहरा दुख" व्यक्त किया है. वहीं नगालैंड की राज्य सरकार ने मामले की विशेष जांच दल (एसआईटी) से उच्च स्तरीय जांच का वादा किया है.