
नंबी नारायणन को फ़ंसाने से भारत के क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी विकास में देरी हुई: सीबीआई
The Wire
इसरो में जासूसी का यह मामला भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम पर कुछ गोपनीय दस्तावेज़ों को दूसरे देशों को दिए जाने के आरोपों से जुड़ा था. वैज्ञानिक नंबी नारायणन को नवंबर 1994 में इसरो के अन्य वैज्ञानिकों और कुछ अन्य लोगों के साथ गिरफ़्तार किया गया था. बाद में सीबीआई ने अपनी जांच में कहा था कि उन्हें ग़लत तरीके से फंसाया गया था. बीते जून में इस मामले में केरल पुलिस 18 कर्मचारियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है.
कोच्चि/तिरुवनंतपुरम: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को 1994 के एक जासूसी मामले में गिरफ्तार किए जाने में शामिल केरल पुलिस के दो पूर्व अधिकारियों की जमानत अर्जियों का बुधवार को केरल उच्च न्यायालय में विरोध करते हुए कहा कि दोनों ने वैज्ञानिक को ‘मनगढ़ंत मामले’ में फंसाया, जिसकी वजह से भारत के क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी विकास में देरी हुई. सीबीआई ने कहा कि दोनों आरोपियों के खिलाफ गंभीर प्रकृति के अपराध के मामले दर्ज हैं और दोनों ने अन्य आरोपियों के साथ साजिश रचते हुए जासूसी का मनगढ़ंत मामला बनाया. एजेंसी ने कहा, ‘याचिकाकर्ताओं (एस. विजयन और टीएस दुर्गा दत्त) के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और इसका क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी के विकास पर बहुत असर हुआ, जिसमें नंबी नारायणन को गलत तरह से फंसाने और इससे जुड़ीं खबरों की वजह से देरी हुई.’ सहायक सॉलिसीटर जनरल पी. विजयकुमार के माध्यम से दाखिल अपने बयान में सीबीआई ने ये दलीलें दीं. इसमें केरल पुलिस के सेवानिवृत्त अधिकारियों विजयन तथा दत्त की संयुक्त अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया गया. दोनों अधिकारी वैज्ञानिक को गिरफ्तार करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) के सदस्य थे.More Related News