धूमिल: हिंदी कविता का एंग्री यंगमैन
The Wire
सुदामा पांडे ‘धूमिल’ की जयंती पर विशेष: धूमिल इतने ‘साधारण’ थे कि उनके परिजनों तक को उनके बड़ा कवि होने का ‘इल्म’ तब हुआ, जब रेडियो पर उनके निधन की खबर आई!
(यह लेख मूल रूप से 9 नवंबर 2017 को प्रकाशित किया गया था.) एक आदमी रोटी बेलता है
क्या आजादी सिर्फ तीन थके हुए रंगों का नाम है, जिन्हें एक पहिया ढोता है या इसका कोई मतलब होता है? एक आदमी रोटी खाता है
जनता के प्रायः सारे जरूरी सवालों पर मौन साधे रहने वाली संसद पर अपने खास तरह के तंजों के लिए हिंदी कविता के एंग्री यंगमैन नाम से मशहूर सुदामा पांडे ‘धूमिल’ ने अब से चार दशक पहले यह सवाल पूछा, तो कौन कह सकता है कि उनके दिलोदिमाग में नए पुराने सामंतों, थैलीशाहों और धर्मांधों द्वारा प्रायोजित देश के लोकतंत्र की सांसत कर डालने वाली उन कारस्तानियों के अंदेशे नहीं थे, जिनके आज हम भुक्तभोगी हैं? एक तीसरा आदमी भी है
जलते हुए जनतंत्र के साथ आम आदमी की विवशता और उच्च मध्यवर्गों के आपराधिक चरित्रों को तभी पहचान लेने वाले धूमिल का जन्म नौ नवंबर, 1936 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के खेवली गांव में माता रसवंती देवी के गर्भ से हुआ था. जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है