धीरूभाई शेठ ने एक पूरी पीढ़ी को भारतीय राजनीति और इसकी अंतर्धाराओं से परिचित करवाया…
The Wire
स्मृति शेष: सीएसडीएस के संस्थापकों में से एक समाजविज्ञानी धीरूभाई शेठ ने कभी अपनी चिंतन प्रक्रिया में अप्रिय तथ्यों को कलम से बचकर निकलने नहीं दिया. उन्होंने आज़ाद भारत में घट रही घटनाओं का कथा वाचक बनने के बजाय उनकी चालक शक्तियों तथा सामाजिक-आर्थिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया.
वे एक ऐसे दौर में हमसे बिछड़े हैं, जब किसी प्रकार के सत्ता प्रतिष्ठान के अनुमोदन को राजनीतिक दुरुस्तगी का पर्याय मान लिया जाता है और सामाजिक तौर पर उठने वाले मुद्दे सांप्रदायिक पूर्वाग्रहों और विचारधारात्मक दुराग्रहों और मनगढ़ंत कहानियों के घालमेल को ‘विचारधारा’ का जामा पहना दिया जाता है. सत्ता से नजदीकी से लाभ मिलता है और किसी व्यक्ति या विचार के प्रति आलोचनात्मक होने से छुट्टी मिल जाती है. धीरूभाई शेठ ने अपनी चिंतन प्रक्रिया में अप्रिय तथ्यों को अपनी कलम से बचकर निकलने नहीं दिया. भारतीय लोकतंत्र की समझ के लिए उन्होंने समकालीन पश्चिमी साहित्य को जितना पढ़ा था, उतना ही जन आंदोलनों से से सृजित कोलाहल को भी विश्लेषित किया. वे इसे लोकतंत्र से अलग नहीं मानते थे. उनके सामने भारत का परंपराबद्ध समाज था जिसमें जाति प्रथा, आधुनिकता और लोकतंत्र आपस में घुलमिल गए थे.More Related News