धीमी आंच पर पकेगी पायलट की राजनीति?
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सचिन पायलट के नई पार्टी बनाने की बात सच्ची या महज़ प्रेशर पॉलिटिक्स, यूक्रेन-रूस युद्ध के लिए काखोवका बांध की तबाही का क्या मतलब है और बीबीसी पर इनकम टैक्स की कार्रवाई किस तरफ बढ़ रही है? सुनिए 'आज का दिन' में.
आने वाले दिनों में परिस्थितियां किस तरह बदलेंगी, मौसम क्या कोई नई करवट लेगा, ये मौसम विभाग बताता है. इसके जयपुर सेंटर की मानें तो तूफ़ान और तेज़ बारिश के अलावा आने वाले दिनों में राजस्थान के कई शहरों का तापमान 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है. लेकिन इसी दरमियान राजनीतिक तपिश राज्य में किस क़दर बढ़ेगी, कह पाना बहुत मुश्किल है. वजह सचिन पायलट और 11 तारीख़ का एक पैटर्न. अप्रैल में वे 11 को एक दिन का अनशन कर चुके हैं और फिर मई में 11 ही से 15 तक, जन संघर्ष यात्रा. इस कड़ी का अगला पड़ाव 11 जून; सचिन के पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि का भी दिन है.
चर्चाएं हैं अख़बारों में, टीवी चैनल्स पर कि क्या इस दिन पायलट कांग्रेस छोड़ नई पार्टी बनाएंगे? 'प्रगतिशील कांग्रेस' कर के जो नया नाम दिल्ली से जयपुर तक हवाओं में है, क्या ये बस यूं ही है या इसमें कुछ वजन भी है? पायलट वैसे तो लम्बे अरसे से राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की बात करते रहे हैं लेकिन हाल के महीनों में उन्होंने अशोक गहलोत से अपनी राजनीतिक खींचतान को एक सैद्धांतिक मोड़ दे दिया है. तीन मांगे हैं उनकी, बेहद स्पष्ट. वसुंधरा सरकार के दौरान की कथित घोटालों पर कार्रवाई, राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन का पुनर्गठन और परीक्षाओं में हुए पेपरलीक से जो छात्र प्रभावित हुए, उन्हें मुआवजा.
31 मई उनकी डेडलाइन थी सरकार को जो बीत चुकी है, इसके दो दिन पहले दिल्ली में एक बैठक भी हुई. बाद में मीडिया के सामने ग्रुप फोटो, सुलह की बात लेकिन असल में ऐसा कुछ होता हुआ दिखा नहीं. तो क्या पायलट वेट & वॉच की स्थिति में रहेंगे फ़िलहाल या उन्होंने मन बना लिया है प्रगतिशील कांग्रेस का और अब यहां से रास्ता वापसी को नहीं जाता है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. _______________________________
15/16 महीने बाद भी रूस और यूक्रेन में जंग जारी है. रूस पर प्रतिबंधों की लंबी-चौड़ी खेप, रूसी तेल, गैस, कोयले पर हायतौबा. यूक्रेन को पश्चिम से मिल रहे हथियार, लम्बी दूरी के रॉकेट. और ईरान, चीन जैसे मुल्कों से मॉस्को की गहरी यारी. इन सबने युद्ध को और तल्ख़ ही किया है, कुछ नरमी के बजाय. कल इस संघर्ष के साथ एक नया नाम जुड़ा; नोवा काखोवका बांध का. जंग के बीच कल यूक्रेन का सबसे बड़ा डैम काखोवका तबाह हो गया. इससे बांध का पानी मैदानी इलाकों तक पहुंच गया. बाढ़ के डर से आस-पास के गांव खाली कराए जाने लगे. 80 गांवों में बाढ़ का खतरा है. सैकड़ों लोगों को अब तक सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है. दक्षिणी यूक्रेन के खेरसॉन प्रांत में ये सबकुछ हो रहा है.
यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि रूस ने जान बूझकर इस बांध पर बमबारी करके उसे उड़ाया है. वहीं रूस ने इस आरोप का खंडन किया है और दावा किया कि यूक्रेनी सेना की गोलाबारी की वजह से बांध को नुक़सान पहुंचा. निप्रो नदी पर बने इस बांध के टूटने के बारे में क्या जानकारी अब तक हमारे पास है, किस की ओर से हमले में इस बांध को नुकसान पहुंचाया गया और इसके टूटने से समस्या किन लोगों को और किस तरह की हो सकती है, साथ ही, मिलिट्री लेवल पर भी किसी को बढ़त मिलने की संभावना है क्या? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.