धर्म परिवर्तन दंपति की सुरक्षा तय करने में कारक नहीं होना चाहिए:HC
The Quint
Allahabad High Court: दंपति को राहत देते हुए कोर्ट ने पुलिसपरिवार के सदस्यों को निर्देश दिया कि इस कपल की जिंदगी में हस्तक्षेप न किया जाए.Giving relief to the couple,court directed the police,family members not to interfere in the life of the couple.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर किसी दंपति की स्वतंत्रता और जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात आती है तो ऐसे में महिला का इस्लाम धर्म में परिवर्तन कोई प्रासंगिक कारक नहीं होगा.एक दंपति की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी की. धमकियों से सुरक्षा की मांग करने पहुंचे इस दंपति को राहत देते हुए कोर्ट ने पुलिस और परिवार के सदस्यों को ये निर्देश दिया कि इस कपल की जिंदगी में हस्तक्षेप न किया जाए.याचिका 20 साल की यशी देवी और 40 साल के गुच्चन खान की तरफ से दायर की गई थी. यशी ने शादी के बाद 11 जनवरी 2021 को इस्लाम धर्म अपना लिया था.जबरदस्ती नहीं होना चाहिए धर्म परिवर्तनहालांकि, जस्टिस सलिल कुमार राय की पीठ ने कहा कि ये नियम तब लागू नहीं हो सकता है जब इस्लाम में धर्मांतरण स्वैच्छिक नहीं हुआ हो बल्कि जबरदस्ती कराया गया हो.-“ये आगे साफ किया गया है कि याचिकाकर्ता ने इस्लाम स्वीकार कर लिया हो, ये उसकी स्वतंत्रता में हस्तक्षेप न हो, ये तय करना का प्रासंगिक कारक नहीं होगा, जब तक कि याचिकाकर्ता ने जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप नहीं लगाया है.’’इलाहाबाद हाईकोर्टकोर्ट ने दंपति को जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से संपर्क करने के लिए कहा है जो ये सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाएंगे कि याचिकाकर्ता की जिंदगी और आजादी में किसी तरह का हस्तक्षेप न हो.“लता सिंह मामले में जारी निर्देशों को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ये सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे कि याचिकाकर्ताओं के जीवन और स्वतंत्रता में हस्तक्षेप न हो.”इलाहाबाद हाई कोर्टलता सिंह केस क्या है?लता सिंह केस में एक युवती ने अपने पति की सुरक्षा की मांग करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. युवती ने अपने परिवार की इच्छा के खिलाफ दूसरी जाति के व्यक्ति से विवाह किया था, उसके पति को उसके भाई ने बंदी बना लिया था और धमकी दी थी. इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए कहा था कि इस तरह की हिंसा और उत्पीड़न करने वाले लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. कोर्ट ने माना था कि याचिकाकर्ता बालिग है. वो किसी से भी शादी करने के लिए स्वतंत्र है और हिंदू विवाह अधिनियम या किसी अन्य कानून के तहत अंतर्जातीय...More Related News