द कश्मीर फाइल्स का मक़सद पंडितों के प्रति हमदर्दी है या एक वर्ग के प्रति नफ़रत उपजाना
The Wire
कश्मीरी पंडितों के ख़िलाफ़ हिंसा ऐसी त्रासदी है जिस पर बात करते समय सिर्फ उसी पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए. किसी त्रासदी को तुलनीय बनाना उसका अपमान है. 'कश्मीर फ़ाइल्स' के निर्माताओं को यह सवाल करना चाहिए कि क्या वास्तव में कश्मीरी पंडितों की पीड़ा ने उन्हें फिल्म बनाने को प्रेरित किया या उसकी आड़ में वे अपनी मुसलमान विरोधी हिंसा को ज़ाहिर करना चाहते थे?
‘कश्मीर फ़ाइल्स’ के निर्देशक को सरकार ने उच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान की है. किसी कलाकार के लिए यह उपलब्धि है या नहीं, इस पर बहुत विचार की ज़रूरत नहीं. तर्क यह है कि फिल्म पर विवाद के कारण निर्देशक को यह सुरक्षा दी गई है. लेकिन दर्शकों के लिए निर्देशक से ज़्यादा अभिनेता परिचित होते हैं. अगर फिल्म पर विवाद है और उससे जुड़े लोगों को ख़तरा है तो अभिनेताओं को भी सुरक्षा दी जानी चाहिए.
फिल्म पर विवाद क्यों और कहां है और खतरा किसको है? क्या इस फिल्म के खिलाफ किसी ने प्रदर्शन किया है? क्या किसी ने उन सिनेमाघरों में तोड़ फोड़ की है? क्या किसी ने फिल्म के खिलाफ कोई ऐसा बयान दिया है जिससे लगे कि फिल्म से जुड़े लोगों को खतरा हो सकता है?
सरकारी सुरक्षा के लिए कारण बतलाया है कि समाज का एक हिस्सा इस फिल्म का विरोध कर रहा है और इसकी आशंका है कि इससे कुछ समुदाय आहत हो सकते हैं. इस आशंका में यह बात अव्यक्त है कि इन समुदायों से फिल्मकार को खतरा हो सकता है जिससे उन्हें बचाने के लिए सुरक्षा दी गई है. लेकिन क्या ऐसी कोई रिपोर्ट हमने देखी है?
जो फिल्म उच्च स्तर पर राजकीय संरक्षण में प्रचारित और प्रसारित की जा रही हो, उसे बाकायदा सरकारी पैसे पर दिखलाया जा रहा हो, उसके निर्देशक को कोई असुरक्षा हो सकती है, यह सोचना भी हास्यास्पद है.