दो विभागों ने सरकार से कहा था कि आईटी नियम डिजिटल कंटेंट विनियमन की अनुमति नहीं देते: रिपोर्ट
The Wire
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने आधिकारिक दस्तावेज़ों में कहा है कि भारत में कोई विशिष्ट कानून नहीं है, जो केंद्र सरकार को ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने का अधिकार देता है. फ़िर भी सरकार नियमों के साथ छेड़छाड़ करने का विकल्प चुनते हुए नए आईटी क़ानून लेकर आई.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने हाल के महीनों में कई मौकों पर जोर देकर कहा है कि उसने विवादास्पद आईटी नियम 2021 का मसौदा तैयार किया और जारी किया, जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत अपनी मौजूदा शक्तियों के आधार पर विभिन्न प्रकार की ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने के लिए एक विस्तृत तंत्र प्रदान करता है. हालांकि अब यह स्पष्ट हो गया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इंटेलिजेंस ब्यूरो दोनों ने आधिकारिक दस्तावेजों में कहा है कि भारत में कोई विशिष्ट कानून नहीं है, जो केंद्र सरकार को ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने का अधिकार देता है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इंटेलिजेंस ब्यूरो ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने के लिए एक कानून बनाने के पक्ष में थे. फिर भी सरकार ने नियमों के साथ छेड़छाड़ करने का विकल्प चुनते हुए एक शॉर्टकट विकल्प चुना. वास्तव में 2020 की दूसरी छमाही में दोनों विभागों ने अलग-अलग ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने के लिए एक नया कानून बनाने की सलाह नरेंद्र मोदी सरकार को दी थी, क्योंकि मौजूदा कानून सरकार को इसकी अनुमति नहीं देता था, लेकिन सोशल मीडिया कंपनियों, डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म और स्ट्रीमिंग सेवाओं को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) नियमों के नए प्रावधानों के साथ आने के विवादास्पद तरीके को चुना.More Related News