दो महीने की डेडलाइन... मनोज जरांगे पाटिल की वो शर्तें जिनकी बुनियाद पर मराठा आरक्षण का वादा किया गया है
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अनशन खत्म करते हुए जरांगे ने सरकार से दो महीने के भीतर मुद्दा सुलझाने को कहा है. उन्होंने कहा कि जब तक आरक्षण की मांगें नहीं मानी जातीं तो उनका क्रमिक अनशन जारी रहेगा.
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन की आग गुरुवार को तब जाकर कम हुई, जब इस आंदोलन के लीडर मनोज जरांगे ने अना अनशन तोड़ा. हालांकि जरांगे ने चेतावनी दी है कि यह सिर्फ दो महीने की छूट है. अगर तय समय में महाराष्ट्र सरकार इस बारे में सटीक निर्णय नहीं ले पाती है और मराठों को आरक्षण नहीं मिलता है तो आगे और बड़ा आंदोलन होगा. मनोज जरांगे ने यह भी जोड़ा कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो अगले आंदोलन में वह मुंबई का गला घोंट देंगे. लोगों तक सब्जियां नहीं पहुंचेंगी और रोजमर्रा की चीजों के लिए तरसना पड़ जाएगा.
क्रमिक अनशन रहेगा जारी: जरांगे बता दें कि गुरुवार को अनशन खत्म करते हुए, जरांगे ने सरकार से दो महीने के भीतर मुद्दा सुलझाने को कहा है. उन्होंने कहा कि जब तक आरक्षण की मांगें नहीं मानी जातीं तो उनका क्रमिक अनशन जारी रहेगा. जरांगे ने कहा, मैं सरकार से यह भी अपील करता हूं कि मराठों को आरक्षण आवंटित होने तक भर्ती न करें. हम आपको आखिरी अल्टीमेटम दे रहे हैं.
मराठवाड़ा का प्रश्न हल हो गया, लेकिन हम पूरे महाराष्ट्र में फैले सभी मराठों के लिए लड़ रहे हैं. हमने 40 साल तक संघर्ष किया है और इंतजार किया है. जब तक सरकार हमें आरक्षण नहीं दे देती, मैं रुकने वाला नहीं हूं. लेकिन मैं आपसे पूछ रहा हूं कि क्या हमें सरकार को और समय देना चाहिए या नहीं? मैं आप से पूछ रहा हूं. क्योंकि मैं आपके फैसले पर कायम हूं.'
जरांगे ने जनता की राय लेते हुए पहले उनसे कुछ सवाल पूछे. उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, हमें सरकार को कितना समय देना चाहिए. ये आपलोग बताइए. असल में सीएम शिंदे ने जस्टिस शिंदे कमेटी को इस मसल पर 24 दिसंबर तक विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए निर्देशित किया है. वहीं धनंजय मुंडे ने इस पर कार्यवाही के लिए 8 दिन और मांगे हैं, जो कि 2 जनवरी तक है. इसीलिए जरांगे ने लोगों से इस पर राय ली.
जरांगे द्वारा लोगों से पूछे गए सवाल... क्या हमें सरकार को और समय देना चाहिए या नहीं? यह कितना समय होना चाहिए? क्या हमें उन्हें 24 दिसंबर तक का समय देना चाहिए? क्या दो महीने का समय ठीक रहेगा.
अगर टूटा वादा तो क्या होगा? मनोज जरांगे ने चेताया बता दें कि, जस्टिस शिंदे कमेटी को 24 दिसंबर तक की मोहलत दी गई है. वहीं, मराठा नेता ने कहा कि मंत्री धनंजय मुंडे 8 दिन और मांग रहे हैं जो कि 2 जनवरी तक है. मराठा आरक्षण का उचित जीआर तैयार करने के लिए राज्य सरकार को 24 दिसंबर तक का अतिरिक्त समय आवंटित किया गया है. पूरे महाराष्ट्र में काम करने के लिए उन्हें कम से कम 2 महीने चाहिए. अगर वे वादा तोड़ेंगे तो हम उन्हें हर जगह रोकेंगे. हम मुंबई की ओर चलेंगे. हम उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक काम बंद कर देंगे. हम कृषि उपज जैसे सब्जियां, दूध और अन्य चीजें उपलब्ध नहीं कराएंगे.
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