
देसी शराब बनाने में आख़िर गलती कहाँ हो जाती है और कैसे बन जाती है ये जानलेवा?
BBC
शराबबंदी को लागू करने का दावा करने वाले बिहार के अलग-अलग ज़िलों में दिवाली के बाद ज़हरीली शराब के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 40 हो गई है.
शराबबंदी को लागू करने का दावा करने वाले बिहार के अलग-अलग ज़िलों में दिवाली के बाद ज़हरीली शराब के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 40 हो गई है.
ज़हरीली शराब से हुई मौतों ने एक बार फिर इस सवाल को हमारे सामने रख दिया है कि आख़िर 'कच्ची शराब' बनाने में वो क्या ग़लती है जिससे ये ज़हर बन जाती है.
ऐसा भी नहीं है कि देसी शराब बनाने, बेचने और पिलाने का धंधा नया है और देसी शराब के कारोबार में ज़हर का क़हर कोई पहली बार टूटा है. जब से ये कारोबार है तब से इस तरह की मिलावट का सिलसिला जारी है. कई बार देश के कई हिस्सों से ज़हरीली शराब के कारण मौत की ख़बरें आ चुकी हैं.
देसी शराब जिसे आम बोलचाल की भाषा में 'कच्ची दारू' भी कहते हैं, उसका रासायनिक सच बहुत ही साधारण सा है.
कच्ची शराब को अधिक नशीली बनाने के चक्कर में ही ये ज़हरीली हो जाती है. सामान्यत: इसे गुड़, शीरा से तैयार किया जाता है. लेकिन इसमें यूरिया और बेसरमबेल की पत्तियां डाल दी जाती हैं ताकि इसका नशा तेज़ और टिकाऊ हो जाए.