देश में जातिगत जनगणना की मांग फ़िर तेज़ क्यों हो गई है
The Wire
समय-समय पर देश में जातिगत जनगणना की मांग तेज़ होती है, लेकिन यह फिर मंद पड़ जाती है. इस बार भी जातिगत जनगणना को लेकर क्षेत्रीय पार्टियां मुखर होकर सामने आ रही हैं और केंद्र सरकार पर दबाव बना रही हैं कि जातिगत जनगणना कराई जाए.
यह साल 2021 है और इसी साल देशभर में राष्ट्रीय जनगणना होना प्रस्तावित है. देश में हर दस साल में होने वाली जनगणना में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों की गणना हमेशा से की जाती रही है, लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को इस गणना से दूर रखा जाता है. हम लोगों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए। बिहार विधान मंडल ने दिनांक-18.02.19 एवं पुनः बिहार विधान सभा ने दिनांक-27.02.20 को सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था तथा इसेे केन्द्र सरकार को भेजा गया था। केन्द्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए। जब इस देश में पेड़ों, पशुओं, गाड़ियों और सभी अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों की गिनती हो सकती है तो भाजपा को OBC वर्ग के लोगों से क्यों इतनी घृणा है कि जनगणना में उनकी गिनती से कन्नी काटा जा रहा है? हालांकि इसी तर्ज पर ओबीसी समाज भी चाहता है कि उसकी भी गणना की जाए ताकि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों की तरह उन्हें भी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सके. — Nitish Kumar (@NitishKumar) July 24, 2021 केंद्र सरकार पिछड़े वर्ग के लोगों की गिनती भी करवाए और आँकड़े सार्वजनिक भी करे! pic.twitter.com/UBG542iOhU समय-समय पर देश में जातिगत जनगणना की मांग तेज होती है, लेकिन यह फिर मंद पड़ जाती है. इस बार भी जाति जनगणना को लेकर क्षेत्रीय पार्टियां मुखर होकर सामने आ रही हैं और सरकार पर दबाव बना रही हैं कि जातिगत जनगणना कराई जाए. — Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) July 30, 2021 बिहार में भाजपा की सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जनगणना की लगातार मांग कर रही है.More Related News