![देश में गेहूं की कमी के कारण क्या सरकार ने निर्यात पर रोक लगाई? - प्रेस रिव्यू](https://ichef.bbci.co.uk/news/1024/branded_hindi/15C25/production/_124752198_gettyimages-1239986666.jpg)
देश में गेहूं की कमी के कारण क्या सरकार ने निर्यात पर रोक लगाई? - प्रेस रिव्यू
BBC
भारत ने 13 मई को तत्काल प्रभाव से सभी प्रकार के गेंहू- हाई प्रोटीन दुरुम से लेकर सामान्य नरम रोटियों के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी गेहूं के निर्यात को 'फ्री' से 'प्रोहेबिटेड' श्रेणी में डाल दिया है.
भारत सरकार ने शुक्रवार देर शाम भारत और पड़ोसी मुल्कों में फूड सिक्योरिटी का हवाला देते हुए गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया है. हालांकि भारत का कहना है कि ज़रूरतमंद देशों को सरकार के स्तर पर तय किए जाने पर निर्यात करेगा.
अंग्रेज़ी अख़बार इकोनॉमिक टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक़ सरकार ने देश में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमत को काबू करने के लिए ये क़दम उठाया है, हाल ही में गेहूं के निर्यात की मांग में ज़बरदस्त उछाल आया है और इस साल गेहूं की फ़सल भी थोड़ी कमज़ोर हुई है.
भारत ने 13 मई को तत्काल प्रभाव से सभी प्रकार के गेहूं- हाई प्रोटीन दुरुम से लेकर सामान्य नरम रोटियों के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी गेहूं के निर्यात को 'फ्री' से 'प्रोहेबिटेडट' श्रेणी में डाल दिया है.
गेहूं पर लगी अचानक निर्यात रोक ऐसे वक़्त में लगाई गई है जब 12 मई को आए आंकड़ों के मुताबिक़ उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति अप्रैल में 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई, ये दर आठ साल के सबसे उच्च स्तर पर है . वहीं, खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.38 प्रतिशत हो गई है.
बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति को अगर अभी अलग भी रखें तो यह निर्णय इसलिए भी लिया गया है क्योंकि इस साल सरकार की गेहूं की खरीद 15 साल के सबसे निचले स्तर पर है. इस साल सरकार ने अब तक केवल 1.8 करोड़ मैट्रिक टन गेहूं की ख़रीद की है वहीं साल 2021-22 में 4.3 करोड़ मैट्रिक टन गेहूं की ख़रीद हुई थी.