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देश पर कोरोना की मार और बढ़ती महंगाई के बीच जानें कैसे बिगड़ रहा आपका घरेलू बजट
ABP News
खुदरा मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में शामिल स्वास्थ्य क्षेत्र की वस्तुवार मुद्रास्फीति पर यदि गौर किया जाये तो गैर- संस्थागत दवाओं, एक्स-रे, ईसीजी, नैदानिक परीक्षण आदि की मुद्रास्फीति माह-दर- माह बढ़ती जा रही है.
कोरोना की मार का आम जनता पर सीधा असर पड़ता हुआ दिख रहा है. आय में गिरावट और कीमत व ईंधन में बढ़ोत्तरी के बीच स्वास्थ्य सेवाओं पर करीब 11 फीसदी का इजाफा यानी करीब 66 हजार करोड़ रुपये का खर्च होने जा रहा है. एसबीआई रिसर्च में यह कहा गया है कि हम ऐसा मानते हैं कि महामारी के चलते स्वास्थ्य खर्च में बढ़ोत्तरी होगी. इसका मतलब अन्य चीजों को उपभोग में कमी आने वाली है. इससे वृद्धि की संभावनाएं प्रभावित होंगी, क्योंकि आर्थिक वृद्धि अभी भी खपत आधारित मांग पर निर्भर है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में समूह की प्रमुख आर्थिक सलाहकार सौम्या कांति घोष ने एक नोट में यह भी कहा है कि अप्रैल माह के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति के मार्च के 5.52 प्रतिशत से घटकर 4.29 प्रतिशत रहना भ्रमित करने वाला है. केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुद्रास्फीति के आंकड़े प्राथमिक तौर पर खाद्य वस्तुओं के नरम पड़ते दाम की वजह से है जबकि इस दौरान ग्रामीण क्षेत्र संबंधी मूल मुद्रास्फीति बढ़कर 6.4 प्रतिशत पर पहुंच गई.More Related News