देशव्यापी छापों के बाद पीएफआई व उससे जुड़े संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया गया
The Wire
बीते दिनों देशभर में पीएफआई दफ्तरों पर पड़े छापों और सैकड़ों कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यूएपीए के तहत इस पर प्रतिबंध लगाते हुए दावा किया है कि वे 'देश में असुरक्षा होने की भावना फैलाकर एक समुदाय में कट्टरता को बढ़ाने के मक़सद' से गुप्त रूप से काम कर रहे हैं.
नई दिल्ली: सरकार ने कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के चलते ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) व उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है. Ministry of Home Affairs declares Popular Front of India (PFI) and its affiliates as ‘Unlawful Association’. (1/2)@HMOIndia @MIB_India @PIB_India @PBNS_India @DDNewslive @airnewsalerts pic.twitter.com/80wtO23oYL
पीएफआई और उसके नेताओं से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है. — Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) September 28, 2022
आतंकवाद रोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित संगठनों में रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफ), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कंफेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल विमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पॉवर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन (केरल) के नाम शामिल हैं.
पीएफआई की स्थापना 19 दिसंबर 2006 को ‘कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी’ और ‘नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट’ (एनडीएफ) के विलय से हुई थी और एनडीएफ की स्थापना अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस और उसके बाद 1993 में हुए दंगों के बाद हुई थी.