देशभर में 17,914 बच्चे सड़कों पर रहते हैं, ऐसे बच्चे सबसे ज़्यादा महाराष्ट्र में: बाल संरक्षण आयोग
The Wire
सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए पुनर्वास नीति संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने यह जानकारी दी है. अदालत ने पुनर्वास नीति तैयार करने संबंधी सुझाव लागू करने का निर्देश देते हुए कहा कि अभी तक सड़क पर रहने वाले केवल 17,914 बच्चों की जानकारी उपलब्ध कराई गई है, जबकि उनकी अनुमानित संख्या 15-20 लाख है.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए पुनर्वास नीति तैयार करने संबंधी सुझाव लागू करने का सोमवार को निर्देश दिया और कहा कि ये सुझाव केवल कागजों पर नहीं रहने चाहिए.
जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि अभी तक सड़क पर रहने वाले केवल 17,914 बच्चों की जानकारी उपलब्ध कराई गई है, जबकि उनकी अनुमानित संख्या 15-20 लाख है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि देश भर में 17,914 सड़क पर रहने वाले बच्चे हैं. आयोग ने यह भी कहा कि सड़कों पर रहने वाले बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में है.
आयोग द्वारा सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के मुताबिक, 17,914 बच्चे सड़कों पर रहते हैं, जिनमें से 9,530 बच्चे अपने परिवार के साथ सड़कों पर रहते हैं, 834 बच्चे अकेले सड़कों पर रहते हैं और 7,550 बच्चे दिन में सड़कों पर रहते हैं लेकिन रात में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले परिवारों में वापस चले जाते हैं. इन 17,914 बच्चों में से 10,359 बच्चे लड़के और 7,554 लड़कियां हैं.