
दुबई-जॉर्जिया और फिर पंजाब... कैसे भारत विरोधी ताकतों का चेहरा बन गया अमृतपाल?
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अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) को तलाशने के लिए पंजाब की पुलिस सूबे में गली-गली तलाशी अभियान चला रही है. उसके करीबियों पर शिकंजा कसा जा रहा है. लेकिन क्या अमृतपाल की एक्टिविटी सिर्फ खालिस्तानी विचारधारा को बढ़ाने तक ही सीमित थी या उसे आगे बढ़ाने के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का हाथ था? पढ़िए इस रिपोर्ट में...
5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 को रद्द करने का फैसला किया. जिस अमृतपाल को ढूंढने के लिए पंजाब की पुलिस आज गलियों की खाक छान रही है, उसने J-K से आर्टिकल-370 हटाने के फैसले का खुलकर विरोध किया था. तब अमृतपाल ने कहा था कि यह फैसला जबरदस्ती थोपा गया है. मोदी ने कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाकर वहां कब्जा कर लिया है.
भारत में जब CAA-NRC कानून की प्रक्रिया शुरू हुई तो अमृतपाल इस फैसले के खिलाफ भी बयानबाजी करता रहा. उसने CAA-NRC को भारत में मुस्लिमों के खिलाफ बहुसंख्यकों का फैसला बताया था. इतना ही नहीं, अमृतपाल के समर्थक लगातार वीडियो जारी कर पंजाब में 80 के दशक का दौर लौटने की धमकी देते रहे. दुबई में रहते हुए अमृतपाल भारत में चल रहे किसान आंदोलन में पूरी तरह से इंगेज रहा. तब उसने कहा था कि इस आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए हिंसा का रास्ता अपनाना चाहिए.
अमृतपाल का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें वह कहता नजर आया कि सिख धर्म के लोगों को तिरंगा अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि तिरंगा उन्हें कमजोर बनाता है. इस वीडियो में उसने अलगाववादी भिंडरावाला को अपना हीरो बताया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी करते हुए उसने कहा था कि पीएम मोदी पर सिख नौजवानों को भरोसा नहीं करना चाहिए. वह एक धर्म के वोट लेकर सत्ता में आए हैं, किसी काबिलियत से नहीं आए.
इन वाकयों से पता चलता है कि कैसे वारिस पंजाब दे संगठन का चीफ अमृतपाल भारत विरोधी ताकतों का चेहरा बन गया था. दरअसल, अमृतपाल को खालिस्तान का चेहरा बनाना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की गहरी साजिश का हिस्सा था. जालंधर के DIG स्वपना शर्मा ने खुद प्रेस कांफ्रेंस कर ये बात कही थी. उन्होंने कहा था कि जांच में ISI का हाथ होने की बात सामने आई है. उन्होंने अमृतपाल को विदेशी फंडिंग मिलने की बात भी कही थी.
ISI ने तैयार की स्क्रिप्ट!

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