दिल्ली में 88% महिला यात्री यौन उत्पीड़न का होती हैं शिकार, 1% ही करती हैं शिकायत
AajTak
भारत में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और पब्लिक प्लेस पर ज्यादातर महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं जबकि इनमें से कुछ ही इसकी शिकायत करने का साहस जुटा पाती हैं. विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है. रिपोर्ट में महिलाओं द्वारा शिकायत न करने की कई वजह बताई गई हैं, इसमें से एक है महिलाओं का अपने अधिकारों को लेकर जागरूक न होना.
विश्व बैंक ने दिल्ली में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न को लेकर गुरुवार को एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने वाली और शहरी इलाकों में 88% महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं, जबकि केवल 1 फीसदी ही पुलिस से इसकी शिकायत करती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक चेन्नई में आधी से ज्यादा महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं और इनमें से 6 फीसदी ही केस दर्ज करवाती है.
पुणे में 63% महिलाओं को इसका सामना करना पड़ता है, जबकि 12 फीसदी महिलाएं ही आपबीती की शिकायत करने का साहस जुटा पाती हैं. वहीं मुंबई में केवल 2 फीसदी पीड़ित महिलाएं ही पुलिस के पास शिकायत करने पहुंचीं. हालांकि इनमें से कोई भी पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुआ. वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मुंबई में ट्रेन में सफर करने वाली महिलाओं में से 75 फीसदी को विमिन हेल्पलाइन नंबर ही नहीं पता है.
इन वजहों से महिला नहीं करती शिकायत
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और पब्लिक प्लेस पर यौन उत्पीड़न के मामले ज्यादा पाए गए, लेकिन ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग बहुत कम हुई या जिन लोगों ने केस दर्ज भी कराया, उनके मामलों में कार्रवाई निराशाजनक रही. कुछ महिलाओं ने डर के कारण किसी को इसकी जानकारी नहीं दी. उनका कहना था कि वह इस मामले में कोई तमाशा नहीं खड़ा करना चाहती थीं.
सर्वे में पता चला कि जागरूकता की कमी, यौन उत्पीड़न को छेड़खानी समझना या ऐसी हरकत को शिकायत करने लायक न मानना, अपराधियों से डर, सामाजिक बदनामी और खुद पर दोष लगने के डर से महिलाओं ने शिकायत नहीं करतीं.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.