
दिल्ली में साथ और पंजाब में आमने-सामने - वोटर को ये बात कैसे समझाएंगे राहुल गांधी और केजरीवाल?
AajTak
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने दिल्ली में चुनावी गठबंधन किया है, लेकिन पंजाब चुनाव में दोनों आमने-सामने होंगे. अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी दिल्ली में तो समझा लेंगे कि बीजेपी को वोट क्यों नहीं देना चाहिये - लेकिन पंजाब के लोगों को एक दूसरे के बारे में क्या कहेंगे?
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच दिल्ली और चंडीगढ़ के अलावा गोवा, गुजरात और हरियाणा की 46 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ने का समझौता हुआ है. दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के एक साल पूरे होने की पूर्व संध्या पर एक प्रेस कांफ्रेंस में ये घोषणा की गई. 26 फरवरी, 2023 को ही सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद ईडी ने भी कस्टडी ले ली थी - और अब भी वो जेल में ही हैं. गिरफ्तारी के एक साल पूरे होने पर दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के विधायकों ने खड़े होकर सपोर्ट और सैल्यूट किया.
अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी के बीच आखिरकार दिल्ली में 4-3 के फॉर्मूले पर चुनावी समझौता हो ही गया. बाकी सीटों को लेकर कहीं आम आदमी पार्टी तो कहीं कांग्रेस को पीछे हटना पड़ा है. देश भर की कुल 46 सीटों पर हुए समझौते में आम आदमी पार्टी के हिस्से में 7 सीटें आ रही हैं, लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि इनमें पंजाब की एक भी सीट नहीं है.
चंडीगढ़ की सीट पर कांग्रेस चुनाव लड़ने जा रही है, और गोवा की दोनों सीटों पर भी. गोवा की एक सीट पर अरविंद केजरीवाल ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था. लेकिन गुजरात की भरूच सीट पर कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के दबाव में पीछे हटना पड़ा है. गुजरात में दो और हरियाणा की एक कुरुक्षेत्र सीट कांग्रेस ने गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी को दिया है.
गुजरात की भरूच लोक सभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे अहमद पटेल के बेटे फैसल पटेल और बेटी मुमताज पटेल चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस ने ये सीट आम आदमी पार्टी को दे दी है. अव्वल तो बीते चार दशक से भरूच सीट पर बीजेपी का ही कब्जा रहा है, लेकिन कांग्रेस के व्यवहार से मुमताज पटेल खासी नाराज है, और उनका कहना है कि वो अपने पिता की 45 साल की विरासत को यूं ही नहीं जाने देंगी.
दिल्ली और पंजाब में जिस तरह अलग अलग तरीके से चुनाव लड़ने का समझौता हुआ है, कांग्रेस के लिए ये कोई नया प्रयोग नहीं है. कांग्रेस और लेफ्ट केरल और पश्चिम बंगाल में ऐसे प्रयोग करते रहे हैं, लेकिन दिल्ली और पंजाब के पिछले विधानसभा चुनावों को देखें तो समझौते के साथ आगे बढ़ना काफी मुश्किल लगता है - और ये बात दोनों ही राजनीतिक दलों पर लागू होती है.
दिल्ली में दोस्त, पंजाब में दुश्मन

आम आदमी पार्टी हाल में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनाव में 62 सीटों से नीचे गिरकर 22 सीटों पर आ गई. पार्टी के बड़े-बड़े धुरंधर जिनमें अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन, सोमनाथ भारती शामिल हैं, चुनाव हार गए. लेकिन कालकाजी में काफी कड़े मुकाबले में आतिशी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को हराने में सफलता पाई.