दिल्ली में बनी एडवांस जीनोम सीक्वेंसिंग लैब, जानें कोरोना की थर्ड-वेव से निपटने में कैसे करेगी मदद?
ABP News
जीनोम सीक्वेंसिंग की तकनीक वायरस के अलग-अलग वेरियंट और म्यूटेंट की पहचान करने के लिए एक आवश्यक टूल बन गई है.
नई दिल्ली: पूरी दुनिया इस समय कोरोना महामारी का सामना कर रही है और वायरस के नए वेरियंट्स को लेकर चिंता और भी बढ़ती जा रही है. ऐसे में जीनोम सीक्वेंसिंग की तकनीक वायरस के अलग-अलग वेरियंट और म्यूटेंट की पहचान करने के लिए एक आवश्यक टूल बन गई है. जीनोम सीक्वेंसिंग एक ऐसी तकनीक है, जो आम लोगों में वायरस के बदलते स्वरूप को समझने और पहचानने में मदद करती है. देश मे कोरोना की तीसरी लहर की संभावना और डेल्टा प्लस वेरियंट के खतरे को देखते हुए राजधानी दिल्ली में जीनोम सीक्वेंसिंग लैब खोली गई हैं. तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने अब तक दिल्ली की अपनी दो जीनोम सीक्वेंसिंग लैब की शुरुआत की है. इनमें से एक लैब दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में हैं और एक ILBS (इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज) में है. ILBS में बनी लैब एडवांस तकनीक पर आधारित है. ABP न्यूज़ की टीम ने ILBS में बनी जीनोम सिक्वेंसिंग लैब का दौरा किया और एक्सपर्ट से समझा कि ये लैब किस तरह से काम करती है, अलग-अलग वेरियंट को कैसे पहचानते हैं और इससे भविष्य में क्या मदद मिलेगी.More Related News