दिल्ली में कांग्रेस को क्यों याद आ रही 11 साल पुरानी भूल? तब से अब तक कितना हो चुका नुकसान
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केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली चुनाव के मुहाने पर है. हालिया लोकसभा चुनाव में साथ-साथ रहे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में तल्खी बढ़ती दिख रही है. कांग्रेस को चुनावी मौसम में 11 साल पुरानी भूल क्यों याद आ रही है?
केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में चुनाव हैं. तारीखों का ऐलान अभी नहीं हुआ है लेकिन कुछ ही महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में साथ-साथ रहे दो दलों- कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तलावरें खींच गई हैं. कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने बीते दिनों दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ आरोप पत्र और श्वेत पत्र जारी किया.
अजय माकन ने इस दौरान 2013 में त्रिशंकु जनादेश के बाद अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली 49 दिन की गठबंधन सरकार का जिक्र करते हुए इसे कांग्रेस की बड़ी भूल बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अगर उस समय केजरीवाल सरकार के गठन में सहयोग नहीं किया होता तो आज दिल्ली के नागरिकों को समस्याएं नहीं झेलनी पड़तीं.
अजय माकन ने हालिया लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया ब्लॉक में आम आदमी पार्टी की मौजूदगी और गठबंधन को भी कांग्रेस के लिए नुकसानदेह बताया और कहा इसका खामियाजा पार्टी विधानसभा चुनाव में भुगत रही है. अजय माकन और दिल्ली कांग्रेस के तमाम नेता जहां 11 साल पुरानी भूल को याद कर रहे हैं, वहीं यूथ कांग्रेस ने महिला सम्मान और संजीवनी योजना के रजिस्ट्रेशन को लेकर सत्ताधारी दल के खिलाफ थाने में भी शिकायत दे दी है. अब सवाल है कि कांग्रेस क्यों बार-बार 11 साल पुरानी भूल याद कर रही है?
कांग्रेस को क्यों याद आ रही पुरानी भूल?
कांग्रेस को बार-बार 11 साल पुरानी भूल याद आ रही है तो उसके पीछे भी अपनी वजह है. इसे समझने के लिए 2008, 2013 और 2015 के नतीजों की चर्चा जरूरी है. 2008 के दिल्ली चुनाव में 40.3 फीसदी वोट शेयर के साथ 43 सीटें जीत सरकार बनाने वाली कांग्रेस 2013 में 24.70 फीसदी वोट शेयर के साथ आठ सीटें ही जीत सकी.
बीजेपी 33.3 फीसदी वोट शेयर के साथ 31 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. नई नवेली आम आदमी पार्टी ने 29.70 फीसदी वोट शेयर के साथ 28 सीटें जीत लीं. तब बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को समर्थन देकर अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में सरकार बनवा दी. यह सरकार 49 दिन ही चल सकी और केजरीवाल ने पद से इस्तीफा दे दिया.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को प्रचार की कमान सौंपी है. योगी ने केजरीवाल सरकार पर हिंदुत्व और विकास के मुद्दों पर हमला बोला. उन्होंने केजरीवाल को यमुना में डुबकी लगाने की चुनौती दी और ओखला में बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाया. बीजेपी पूर्वांचली वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही है. केजरीवाल ने भी योगी के आरोपों का जवाब दिया और नए वादे किए. दिल्ली चुनाव में अब सिर्फ 13 दिन बचे हैं. बीजेपी और कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को हराने के लिए पूरा प्लान तैयार किया है. सीएम योगी आदित्यनाथ दिल्ली में चुनिंदा सीटों पर प्रचार कर रहे हैं जहां पूर्वांचली और उत्तराखंडी वोटरों की संख्या ज्यादा है. बीजेपी ने पूर्वांचली मतदाताओं को साधने के लिए यूपी-बिहार के करीब 100 नेताओं की फौज उतारी है. कांग्रेस ने भी अपना थीम सॉन्ग लॉन्च किया है. केजरीवाल अपने वोट बैंक को बचाने की कोशिश में लगे हैं.
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा से पंजाब पुलिस के जवानों को हटा दिया गया है. यह फैसला चुनाव आयोग के आदेश पर लिया गया है. केजरीवाल को जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त है, लेकिन नियमों के अनुसार वे दूसरे राज्य की पुलिस से सुरक्षा नहीं ले सकते. इस मुद्दे पर गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस ने भी चिंता जताई थी. अब दिल्ली पुलिस पूरी सुरक्षा प्रदान करेगी और पंजाब पुलिस से नियमित संपर्क में रहेगी.
दिल्ली पुलिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अरविंद केजरीवाल को Z प्लस की सुरक्षा मिली हुई है. वो दूसरे राज्य की सुरक्षा की नहीं ले सकते और न और न उनको दूसरे राज्य से सुरक्षा मिल सकती है. ये कानूनी तौर पर गलत है. अगर दूसरे राज्य के VVIP आते हैं और उनके साथ सुरक्षा होती है, तो वो भी 72 घंटे ही सिक्योरिटी रख सकते हैं.
बिहार में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से हटाने की अफवाहों पर बीजेपी नेता ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने बताया कि पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया था. बीजेपी नेता ने कहा कि नीतीश कुमार की तबीयत या उम्र के आधार पर उन्हें हटाने का कोई प्लान नहीं है.
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