दिल्ली-मुंबई में कोरोना की रफ्तार बेकाबू, देखें- देश के दो सबसे बड़े शहरों का कोरोना ग्राफ...
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ऐसे वक्त में जब कोरोना महामारी की फिर से वापसी होती दिख रही है देश के दो बड़े शहरों दिल्ली और मुंबई के आंकड़े फिर डराने लगे हैं. इस महीने के शुरुआत में जहां राजधानी दिल्ली में 100 के करीब मरीज रोज आ रहे थे आज आंकड़ा फिर 1200 के पार पहुंच चुका है. इसी तरह देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कोरोना केस अब तक के सबसे चरम पर पहुंच चुके हैं.
देश में 14 महीने पहले 27 जनवरी 2020 को केरल में कोरोना का पहला मामला सामने आया था. तब से देश में संक्रमण के एक करोड़ 17 लाख से अधिक केस सामने आ चुके हैं जबकि 160,687 लोगों की जान जा चुकी है. इसी तरह दुनियाभर में साढ़े 12 करोड़ से अधिक मरीज अब तक सामने आ चुके हैं जबकि कोरोना महामारी ने 2,750,576 लोगों की अबतक जान ले ली है. ऐसे वक्त में जब कोरोना महामारी की फिर से वापसी होती दिख रही है देश के दो बड़े शहरों दिल्ली और मुंबई के आंकड़े फिर डराने लगे हैं. इस महीने के शुरुआत में जहां राजधानी दिल्ली में 100 के करीब मरीज रोज आ रहे थे आज आंकड़ा फिर 1200 के पार पहुंच चुका है. इसी तरह देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कोरोना केस अब तक के सबसे चरम पर पहुंच चुके हैं.सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
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हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.