दिल्ली दंगा: अदालत ने नेताओं के नफ़रत भरे भाषण संबंधी याचिका में हस्तक्षेप आवेदन ख़ारिज किया
The Wire
दिल्ली हाईकोर्ट शेख़ मुज़तबा फ़ारूक़ एक लंबित याचिका में एक वकील की ओर से दायर हस्तक्षेप आवदेन पर सुनवाई कर रही थी. फ़ारूक़ ने कथित तौर पर नफ़रत भरे भाषण देने के लिए भाजपा नेताओं- अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने एवं जांच की मांग की है. हस्तक्षेप आवदेन में वकील ने कहा था कि यह जनहित याचिका नहीं, बल्कि प्रचार पाने का वाद है.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका की विचारनीयता को चुनौती देने वाले आवेदन पर गौर करने से इनकार कर दिया. संबंधित याचिका में कथित रूप से नफरत भरे भाषण देने को लेकर कुछ नेताओं के विरुद्ध जांच की मांग की गई है, जिससे नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरुद्ध प्रदर्शन के आलोक में फरवरी में हिंसा भड़की थी.
अदालत ने कहा कि वह दखल संबंधी आवेदन को मंजूर नहीं कर रही है और उसने इसे भविष्य के लिए लंबित रखने से भी इनकार कर दिया.
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भमभानी की पीठ ने कहा, ‘हम आपको अपना फैसला बता रहे हैं, यह खारिज किया जाता है. आप आवश्यक रूप से या उपयुक्त पक्ष नहीं हैं. कृपया इसे सर्कस न बनाएं. हम इसे लंबित नहीं रख रहे हैं. आपका मुवक्किल बिन बुलाया मेहमान है.’
अदालत शेख मुजतबा फारूक की लंबित याचिका में एक वकील की ओर से दायर हस्तक्षेप आवदेन पर सुनवाई कर रही थी. फारूक ने भाजपा नेताओं- अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने एवं जांच की मांग की है.